चीन हाल की स्मृति में दुनिया का सबसे ख़राब प्रदर्शन कर रहा है नसलवद के रूप में, जिस्मे वो उईघर के खिलाफ नरसंहार के माध्यम से उनकी संस्कृति, भाषा, परंपराओं और जीवन के तरीक़े को मिटाने के इरादे से उन्हें इखट्टा किया जा रहा है जिनमे से लाखों लोग कॉन्सेंट्रेशन…
Category: कानून और न्याय
महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ रहे अपराध !
सुप्रिया झा घरेलू हिंसा, मौखिक रूप से दुर्व्यवहार, भावनात्मक आघात और शारीरिक शोषण जैसे हालात दुनिया भर में महिलाओं के लिए कभी भी अजनबी नहीं रहें हैं। लेकिन इस बार भारत में, घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ौती ने 10 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। 22 जून को ‘The…
जयंती राजभर : आजमगढ़ में स्त्री मुक्ति का आन्दोलन
मेरा जन्म वेस्ट बंगाल में हुआ। पापा की सर्विस लगने के बाद हम धनबाद आ गए। पापा का जन्म आजमगढ़ में हुआ। पढ़ाई-लिखाई सब धनबाद में हुई।मेरे बड़े पापा जो कि आजमगढ़ में ही रहते थे उन्होंने इकलौता और धनी लड़का देखकर 1992 में नौवीं कक्षा में ही मेरी शादी…
फूलन देवी : पानी और कानून, शासन और जूनून – परिचय पार्ट १
“मैंने कई बार सोचा कि आत्महत्या कर लूं, पर मरती तो हजारो लड़कियां, रोज हैं. जिस रावण ने एक औरत को उठाया, उसका पुतला आज भी लोग फूकते हैं, मेरे साथ भी ऐसे कई रावणों ने अत्याचार किया, मैंने उसका जवाब दिया.”- फूलन देवी भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी…
पानी और बागी: मानखुर्द, चम्बल मोइरंग
लोकतक लारेम्बी मणिपुरी मूवी में होबोम पवन कुमार ने लोकतक झील पर जो इम्फाल के दक्षिण में मोइरंग में है, वहां के मछवारों की जिंदगी पर बनाया है. वो दिखाते हैं कि कैसे सरकार की मणिपुर लोकतक संरक्षण योजना २००६ के कारण वहां के समुदाय को नुक्सान पहुच रहा है….
कफील खान: इलाहबाद हाई कोर्ट – भाषण राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है
बचपन से हम सभी को सिखाया जाता है कि हम न तो हिंदू बनेंगे और न ही मुसलमान, इंसान बनेंगे और हमारे मोटा भाई हमें सिखाते हैं कि हम हिंदू नहीं, बल्कि मुसलमान बनेंगे। क्यों क्योंकि जैसा उन्होंने कहा, एक हत्यारे को कैसे पता चलेगा, जिसके कपड़े खून में सने…
भारतीय अर्थवय्वस्था को दुरुस्त करने के लिए पुरुलिया के सबर समुदाय से सीखना क्यूँ जरूरी है?
एक समुदाय जो एक समय पुलिस से खदेडा जाता था, जिनका गाँव वाले तक बहिष्कार करते थे, आज के समय में क्यूँ जिला कलेक्टर उन्हें ही फोन करके कोरोना महामारी के वक़्त, मदद पहुँचाने को कह रहे हैं? कौन है ये २० युवा, जो अपने समुदाय के बच्चे को पढ़ाते…
टांडा, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, कोरोना महामारी के वक़्त घुमंतू समुदाय को मदद पहुंचाने में संघर्ष कर रहा
वर्ष 2011 में एडवोकेसी नेटवर्किंग एंड डेवलपमेंट एक्शन (TANDA, टांडा) एक फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट (FAP) के रूप में, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीस ) से शुरू हुआ. यह प्रोजेक्ट, सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड जस्टिस, स्कूल ऑफ सोशल के माध्यम से मुंबई में पारधी समुदाय के साथ लगभग दो वर्षों के…
टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की प्रयास प्रोजेक्ट, कोरोना कर्फ्यू के समय भी कैसे समाज के रोगों का जड़ से ईलाज कर रही है ?
प्रयास 1990 में एक फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड जस्टिस से जुड़ा हुआ है. छात्र जो सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड जस्टिस से एम.ए कर रहे हैं, वो इस प्रोजेक्ट के जरिए पुलिस थानों, जेलों और अन्य हिरासत के जगह…
कोरोना कर्फ्यू : वाराणसी में हरिश्चन्दर घाट में डोम समाज तक राहत नहीं पहुँच रहा
३१ मार्च २०२०: जरूरी काम करने वाले को २०० रूपए दिहाड़ी. न राशन न खोज खबर.यहाँ के नगर निगम के सभा सदस्य, यहाँ के करीब १५० परिवार के साथ भेद भाव कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि न उनकी खोज खबर हुई, और राहत की सामग्री भी गिने…
शिवाला, वाराणसी: राशन बायोमेटरीक से मिलने पर, न मिलने और संकरमण दोनों का खतरा
३१ मार्च २०२०: शिवाला, वाराणसी में अभी तक कोरोना के चलते कर्फ्यू के बाद भी कोई सरकारी सहायता नहीं. पहुची है. यहाँ जो रिक्शा वाले और टोटों वाले हैं, किसी तरह इधर उधर से राशन जुटा पा रहे हैं.देहाड़ी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन न होने के कारण उन्हें योगी सरकार की…
कोरोना कर्फ्यू, वाराणसी में रामनगर पुल के पास : देहाड़ी मजदूरों को राशन नहीं पंहुचा रही सरकार
वाराणसी में रामनगर पुल के पास, ३० साल से ऊपर से बैलबांस समुदाय रह रहा है. इनके रहते गैर कानूनी ढंग से जज साहब का बंगला बन गया, सन बीम स्कूल बन गया. ये यहीं पर रह गए.अधिकतर लोग देहाड़ी मजदूरी करके अपना जिंदगी गुजरते हैं. अभी इस समय कर्फ्यू…
छारा समाज पर पुलिस का हमला .26 जुलाई की रात छारा समाज पर हुए हमले की तथ्य खोज ( fact finding) रिपोर्ट
छारा समाज पर पुलिस का हमला 26 जुलाई की रात छारा समाज पर हुए हमले की तथ्य खोज ( fact finding) रिपोर्ट …
गडचिरोली और काजीरंगा: संवैधानिक लड़ाई पर दो युवा डटें हैं- महेश राउत और प्रणब डोले
फ़रवरी प्रिंट अंक लावरी, गडचिरोली- सरकार के खिलाफ दो सीधे वर्षों के लिए लड़ने के बाद, गडचिरोली जिले के एक आदिवासी गांव लावारि ने लगभग १ करोड़ ११ लाख २६ हजार रु. की मुआवजा राशि प्राप्त करके जीत हासिल की. रायपुर से वर्धा तक की परियोजना के निर्माण के लिए…
कोरेगांव हिंसा के मुख्य आरोपी ‘संभाजी’ मनोहर भिडे और मिलिंद एकबोटे. फिर पुलिस किसे पकड़ रही ?
फ़रवरी प्रिंट अंक मंडल कमीशन द्वारा आरक्षण विश्वविध्यालयों में जारी करने के आज करीब १७ साल बाद वो समाज जिस पर दुसरे का लिखा हुआ इतिहास थोपा गया था, आज अपनी भाषा, लहजा में अपनी बात कह रहा है. अब लिखेंगे नहीं तो नहीं न होगा. और जब लिखेंगे और…
यूरोपियन यूनियन ने लताड़ा उबेर को: अपनी सरकार पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान सी क्यों है ?
उबेर एक परिवाहन सेवा कंपनी है, यूरोपीय न्यायालय (ईसीजे) ने एक टैक्सी ऑपरेटर के रूप में ईयू के भीतर कड़े विनियमन और लाइसेंसिंग को स्वीकार करने की आवश्यकता की है. यह फैसला उबेर के तर्क पर जोरदार तमाचा है कि यह केवल चालकों की ओर से कार्य करने वाला एजेंट…
बहुत अधिक कानून, बहुत कम न्याय- प्रवीन कुमार
मैं अपने इस लेख के माध्यम से यह बताने की कोशिश करूँगा कि संविधान में परिभाषित समान न्याय और निशुल्क क़ानूनी सहायता कैसे अपने उदेश्यों को पूरा नहीं कर पा रहा है| ऐसे वो क्या तत्व हैं जो इस प्रक्रिया में बाधक साबित हो रहे हैं तथा सबके लिए न्याय…
इंद्रमल बाई की खुदखुशी – एक संस्थानिक हत्या
शहरी मजदूर संगठन, भोपाल . इन्द्रमल बाई 32वर्ष की थी. जब 20 नवम्बर 20 17 को उन्होंने भोपाल के हमीदिया में आखरी सांस ली . बैरागड़ में अपनी बसाहट से खदेड़े जाने के बाद, वो गए 10 साल से गाँधी नगर में अपने दो बच्चों के (13 वर्षीया बेटी और…
सहारनपुर दंगे के विरोध में लखनऊ में किया प्रोटेस्ट, हुई गिरफ्तारी
31 मई को लखनऊ के जीपीओ से विधान सभा तक हुए मार्च के दौरान देश के तमाम विश्वविद्यालयों व अन्य सामाजिक संगठनों के लोगों को पुलिस ने जीपीओ से ही गिरफ्तार कर लिया। प्रोटेस्ट कर रहे संगठन जाइंट एक्शन कमेटी में बीबीएयू से श्रेयात बौद्ध, संदीप शास्त्री,अमन झा,अश्विनी रंजन, अनुराग…
लैंगिक हिंसा, बैरागड़ भोपाल: मीडिया और पुलिस की लीपापोती
मधु धुर्वे लैंगिक हिंसा हाल ही में हमारे भोपाल शहर में बच्चों के साथ यौन शोषण जैसी दो गंभीर घटना घटी है. बैरागड़ शासकीय शाला के आवासीय कार्यक्रम में 6 से 11 वर्ष के छोटे लड़के थे. 24 से ज़्यादा ड्राप आउट हुए बच्चों ने अपने परिजनों से बताया की…
लातूर में पानी पर धारा – १४४
धारा १४४ का इस्तेमाल पहली बार भारत में अंग्रेजो द्वारा १८६१ में किया गया था, जो कि आज़ाद भारत में १९७३ को कानूनी रूप में ढला. इसका उस समय भी इस्तेमाल आज़ादी की मांग को लेकर संगठित होने वाले लोगों के खिलाफ किया जाता था, ताकि अंग्रेजी हुकूमत बरक़रार रहे.
बांद्रा कलेक्टर ऑफिस मुंबई : मातंग समाज का प्रदर्शन
२८ दिसम्बर ,२०१५ को मातंग समाज ने बांद्रा कलेक्टर ऑफिस के सामने शांतिपूर्वक धरना दिया और अपनी मांगे रखीं.
‘भटके विमुक्त जनजातियों’ के अच्छे दिन कब आयेंगे ?
सन् १९०० में ब्रिटिशों ने हिनुस्तान में छोटी-बड़ी संस्थानों (राज्य) को हटाकर अपनी हुकूमत कायम की. उस दौरान किसान, आदिवासी, भटके विमुक्त जनजाति और पिछड़े वर्गों को बड़े पैमाने पर सताया गया. उसके परिणाम सवरूप अंग्रेजों के खिलाफ १८५७ के उठाव में बिरसा मुंडा, तांत्या भील और उमाजी नायक के नेतृतव में विद्रोह उमड़ा. लेकिन अंग्रेजों के द्वारा इन आवाजों को दबाया गया.
देवनार डंपिंग ग्राउंड की आग
हारून शैख़ यहाँ पे प्रदुषण और गन्दी हवा से तकलीफ कई किस्म की है, लेकिन आदमी बोलता है न की इतना वक़्त है इंसान के पास की सीना खुख्राए. खांसी हो रही है. कहीं चला जाये. किसी आदमी को नोर्मली खांसी भी होती है तो वो बड़े से बड़े डॉक्टर के…
रोहित वेमुला की हत्या : शिक्षण संस्थाओं में लोकतांत्रिक समतामूलक माहौल का आभाव
जैनबहादुर आज के इस आधुनिक लोकतांत्रिक सभ्य समाज में रहते हुए हमारे सामने कभी कभी ऐसी घटनाएँ घट जाती है या फिर घटा दी जाती है जो हमे यह सोचने को मजबूर कर देती है कि क्या हम एक सभ्य लोकतांत्रिक समाज में ही रहते है? ऐसी घटना जिसका परिणाम…
संदूक यादें, लम्हें और आशाओं की – फ्रीडम थिएटर फिलिस्तीन !
५ जनवरी २०१६ को मुंबई विद्यापीठ द्वारा भारत फिलिस्तीन सांस्कृतिक कर्यक्रम का आयोजन किया गया.इस कार्यक्रम में जन नाट्य मंच(नयीदिल्ली) और फ्रीडम थिएटर फिलिस्तीन द्वारा एक नाटक प्रस्तुत किया गया.
बाल संरक्षण की आवश्यकता
राकेश प्रजापति भारत विश्व के लगभग १९ प्रतिशत बच्चों का घर है. राष्ट्र की जनसंख्या के एक तिहाई से भी अधिक, लगभग ४४० मिलियन बच्चे१८ वर्ष की आयु से कम है. बच्चों…
इट्स अ मैन’स वर्ल्ड (ये संसार पुरुष-निर्मित और केन्द्रित है)
अमरीकी गायक और संगीतग्य जेम्स ब्राउन का 1966 में गाया गया प्रसिद्ध गाना “इट्स अ मैन’स वर्ल्ड” (ये संसार पुरुष-निर्मित और केन्द्रित है) आज भी अपनी प्रासंगिकता बरक़रार रखता है. कारण, चाहे भारत हो या पश्चिमी देश, या दुनिया का कोई भी कोना—ये दुनिया और समाज पुरुष केन्द्रित ही है!