चीन हाल की स्मृति में दुनिया का सबसे ख़राब प्रदर्शन कर रहा है नसलवद के रूप में, जिस्मे वो उईघर के खिलाफ नरसंहार के माध्यम से उनकी संस्कृति, भाषा, परंपराओं और जीवन के तरीक़े को मिटाने के इरादे से उन्हें इखट्टा किया जा रहा है जिनमे से लाखों लोग कॉन्सेंट्रेशन…
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पंजाब और बिहार में प्रवासन की समस्या
सुप्रिया झा प्रवास एक तरह से जीने और काम करने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाने का एक तरीका है। नौकरी, आश्रय और कुछ अन्य कारणों से अपने घर से दूसरे शहर / राज्य / देश में लोगों का जाना प्रवास कहलाता है। प्रवास कोई नया शब्द…
लिंग, जुर्म और शिक्षा का सम्बंध
By Sakshi Gupta शिक्षा एक प्रगतिशील समाज का मूल है. शिक्षा एक ऐसी चीज़ है जिसके बिना इंसान एक जानवर या प्राणी ही रह जाता है। शिक्षा जिसे इंग्लिश में एजुकेशन कहते हैं, जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इसी से मानव का विकास होता है, जिससे वो अपना…
महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ रहे अपराध !
सुप्रिया झा घरेलू हिंसा, मौखिक रूप से दुर्व्यवहार, भावनात्मक आघात और शारीरिक शोषण जैसे हालात दुनिया भर में महिलाओं के लिए कभी भी अजनबी नहीं रहें हैं। लेकिन इस बार भारत में, घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ौती ने 10 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। 22 जून को ‘The…
मिर्ज़ापुर: रेलवे का फटका
हरिश्चंद्र बिंद अध्यक्ष गाँव सुधारक समिति मिर्जापुर रिपोर्टर-द सभा एक रेलवे का फाटक है. कटका स्टेशन के पूर्वी ओर. यहाँ से होकर जिन्दा और मुर्दा दोनों जातें हैं. मुर्दा, दक्षिण की ओर, अर्थी पर गंगा नदी किनारे जलने और जिन्दा औरतें खटिया पर उस पार, प्रसव के लिए. जिन्दा मुर्दा…
ओबीसी, आरक्षण और वर्तमान शैक्षणिक स्थिति
मनीष जैसल हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा में मीडिया / फिल्म विषय पर पी-एच.डी कर रहें हैं अपनी बात शुरू करने से पहले गोरख पांडे को उनकी इस कविता की पंक्तियों के साथ याद करना आवश्यक हो जाता है जिनमे वो कहते है कि… वो डरते है किस बात से डरते…
रोहित वेमुला की हत्या : शिक्षण संस्थाओं में लोकतांत्रिक समतामूलक माहौल का आभाव
जैनबहादुर आज के इस आधुनिक लोकतांत्रिक सभ्य समाज में रहते हुए हमारे सामने कभी कभी ऐसी घटनाएँ घट जाती है या फिर घटा दी जाती है जो हमे यह सोचने को मजबूर कर देती है कि क्या हम एक सभ्य लोकतांत्रिक समाज में ही रहते है? ऐसी घटना जिसका परिणाम…
मंडाला के हज़ारो बेघरो का आवास सत्याग्रह क्यों?
मुंबई के 75,000 ग़रीबो के घर तोड़े गए थे, 2004-05 में, वह स्थिति आज भी आँखो के सामने है | चूल्हे क्या, बच्चे भी रस्ते पर आ गए थे और, कहां बढ़े, कहां बीमार, इंसान कुत्तो जैसे गंदे नालो के किनारे लेटे मिलते थे |
भारत के आर्थिक और राजनैतिक विशेषज्ञ ‘प्रोंजोय गुहा ठाकुरता्’ सिरिजा की जीत पर
ग्रीस में सीरिजा पार्टी, अतिवादी वामदल, की अपेक्षित जीत ने पहले से ही पूरे वित्तीय बाजारों में संकेत भेज दिए थे। सीरिजा की इस जीत के पीछे भारत समेत पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि सरकारों द्वारा आर्थिक असमानताओं को सम्बोधित न करना राजनीतिक-सामाजिक उथल-पुथल को और…
इट्स अ मैन’स वर्ल्ड (ये संसार पुरुष-निर्मित और केन्द्रित है)
अमरीकी गायक और संगीतग्य जेम्स ब्राउन का 1966 में गाया गया प्रसिद्ध गाना “इट्स अ मैन’स वर्ल्ड” (ये संसार पुरुष-निर्मित और केन्द्रित है) आज भी अपनी प्रासंगिकता बरक़रार रखता है. कारण, चाहे भारत हो या पश्चिमी देश, या दुनिया का कोई भी कोना—ये दुनिया और समाज पुरुष केन्द्रित ही है!