अपराजिता राय बंगाल सरकार की नीतियां एवं योजनाएं। हम पश्चिम बंगाल सरकार की नीतियों एवं उनके अधिनियम किए गए वर्ष पर एक नजर डालते है। कन्याश्री प्रकल्प – 2013 अविवाहित लड़कियों को 13 से 18 वर्ष की है और आठवीं कक्षा में पढ़ रही है, उनको वार्षिक छात्रवृति रू. 750/-…
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चीन में उईघर के ख़िलाफ़ नरसंहार
चीन हाल की स्मृति में दुनिया का सबसे ख़राब प्रदर्शन कर रहा है नसलवद के रूप में, जिस्मे वो उईघर के खिलाफ नरसंहार के माध्यम से उनकी संस्कृति, भाषा, परंपराओं और जीवन के तरीक़े को मिटाने के इरादे से उन्हें इखट्टा किया जा रहा है जिनमे से लाखों लोग कॉन्सेंट्रेशन…
कोरोना – लॉकडाउन और व्यापारी मुंबई मानखुर्द
दिलराज सूद अंग्रेजी में अनुवादित – मानवी शर्मा, मोतीलाल नेहरू कॉलेज कोरोना के शुरुआती दिनों में जब देश में जनता कर्फ्यू लगा तो लोगों ने खुद ही अपने आप को घरों में बंद कर लिया था और यह साबित किया था कि वह कोरोना से जंग के लिए पूरी शिद्दत…
टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की प्रयास प्रोजेक्ट, कोरोना कर्फ्यू के समय भी कैसे समाज के रोगों का जड़ से ईलाज कर रही है ?
प्रयास 1990 में एक फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड जस्टिस से जुड़ा हुआ है. छात्र जो सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड जस्टिस से एम.ए कर रहे हैं, वो इस प्रोजेक्ट के जरिए पुलिस थानों, जेलों और अन्य हिरासत के जगह…
ओला, उबेर और मानसिकता: गूगले हो क्या !
प्रिंट अंक: पेज ३, फ़रवरी १-१५ २०१८ “काली पीली थी, है, रहेगी, बहुत आये और गए, देखते रह्ये… हमारा सबसे पुराना यूनियन है. जॉर्ज पेर्नान्देस वाला. हाँ . शरद राव था. अब उसका बेटा चलाता है. हम नहीं जानते उसका नाम. अरे जब सेंट्रो आई थी, फ़िएट के बदले, तब…
यूरोपियन यूनियन ने लताड़ा उबेर को: अपनी सरकार पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान सी क्यों है ?
उबेर एक परिवाहन सेवा कंपनी है, यूरोपीय न्यायालय (ईसीजे) ने एक टैक्सी ऑपरेटर के रूप में ईयू के भीतर कड़े विनियमन और लाइसेंसिंग को स्वीकार करने की आवश्यकता की है. यह फैसला उबेर के तर्क पर जोरदार तमाचा है कि यह केवल चालकों की ओर से कार्य करने वाला एजेंट…
बहुत अधिक कानून, बहुत कम न्याय- प्रवीन कुमार
मैं अपने इस लेख के माध्यम से यह बताने की कोशिश करूँगा कि संविधान में परिभाषित समान न्याय और निशुल्क क़ानूनी सहायता कैसे अपने उदेश्यों को पूरा नहीं कर पा रहा है| ऐसे वो क्या तत्व हैं जो इस प्रक्रिया में बाधक साबित हो रहे हैं तथा सबके लिए न्याय…
इंद्रमल बाई की खुदखुशी – एक संस्थानिक हत्या
शहरी मजदूर संगठन, भोपाल . इन्द्रमल बाई 32वर्ष की थी. जब 20 नवम्बर 20 17 को उन्होंने भोपाल के हमीदिया में आखरी सांस ली . बैरागड़ में अपनी बसाहट से खदेड़े जाने के बाद, वो गए 10 साल से गाँधी नगर में अपने दो बच्चों के (13 वर्षीया बेटी और…
गलियों में तब्दील होता रायबरेली, और यह कोई ऐतिहासिक घटना नहीं है
तकरीबन पैंतीस लाख की कुल आबादी वाला रायबरेली कुछ दिनों में संकरी गलियों में तब्दील हो सकता है. शहरी इलाकों में लगभग दो लाख जनता रहती है. इसमें हर वर्ग के लोग हैं. चूँकि शहर का विकास किसी बड़ी आवासीय योजना के तहत नहीं हुआ यहाँ पर ज़्यादातर मोहल्ले बेतरतीब तरीकों से बसे…
भोपाल : क़र्ज़ में फसें बस्ती के लोगों को आज़ाद किया
शहरों की बस्तियों को फिर से बंधवा मजदूर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.भोपाल की 10 -15 बस्तियों में एक नया व्यापार शुरू हुआ है, जिसमे हमारी गौतम नगर बस्ती भी शामिल थी. जिसके चलते बस्ती के गरीब लोग जो पन्नी बीनते है और कचरा उठाते हैं , उन लोगों को एक…
शिक्षा मित्र मांग रहे इच्छा मृत्यु
पौने दो लाख शिक्षामित्रों के खिलाफ आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जन विरोध स्वाभाविक है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात स्वीकारी है। आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही के हवाले से मीडिया में खबर आई कि…
लालू और नीतीश का अलग होना क्या स्क्रिपटेड था ?
हम उस बिहार की चर्चा कर रहे है जहां से भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा थमी थी। वही लालू जिन्होने आडवाणी को गिरफ्तार कर रथ यात्रा को थाम लिया था । अगर यह नहीं होता आज के समय की भारत की कहानी कुछ और कहती । लालू की…
शिक्षा के स्तर में सुधार की अच्छी पहल ….
Dailyhunt से साभार … सच्चे इवेंट पर आधारित होने का दावा करने वाली इरफान खान स्टारर फिल्म हिन्दी मीडियम का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ है। हाई फाई स्कूल में पढ़ेगा इंडिया, तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया की पंच लाइन देते हुए निर्देशक ने फिल्म को आज के परिदृश्य…
पारधी समाज की औरत के साथ अन्याय
पारधी समाज की एक लड़की. उसकी शादी माँ-बाप ने दस साल की उम्र में कर दी थी. उसका पति लंगड़ा था. तब भी उस लड़की ने अपने माता पिता की ख़ुशी के खातिर उस लड़के के साथ अपनी पूरी जिन्दगी काटने को तैयार थी. उसकी उम्र 25 की है और उसके चार बच्चें है. वह…
नूर जैसी फिल्में हमारे इतिहास का बोझ बढ़ा रही है …
सुनहिल सिप्पी निर्देशित नूर बड़े पर्दे रिलीज हुई तो लगा पत्रकारिता के किसी अनछुए पहलू से हमारा परिचय होगा ? एक बार को लगा कि कोई ऐसी कहानी दर्शकों के बीच आएगी जो बड़े मीडिया घरों की रोज की बात है जिससे हम सभी अनभिज्ञ हैं। लेकिन यहाँ मामला उलट…
चढ़ता पारा और कर्ज में डूबता किसान
आज हर कोई अपने आप मे एक स्वतंत्र पत्रकार है। हर किसी का राजनीति से लगाव भी आम हो चला हैं । होना भी चाहिए। आखिर हम रोटी भी राजनीति की ही खाते है। बीते दिनों देश के पाँच राज्यों में चुनाव हुए,नतीजे आए और नई सरकारें बनी। जिसमें…
यूजीसी का पुतला फूंका, निकाला प्रतिरोध मार्च
Ugc के 06 मई 2016 के notification को सभी विश्वविद्यालयों में लागू हो जाने के विरोध में आज महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के छात्रों ने विरोध प्रदर्शित करते हुए साहित्य भवन से प्रशासनिक भवन तक प्रतिरोध मार्च निकाला । ugc notification की माने तो शिक्षक और शोधार्थियों का…
रायबरेली में किसान, कर्ज और उम्मीद
बैसवारा क्षेत्र के रायबरेली और आसपास के इलाकों में ज़मीन की माप के हिसाब से इस क्षेत्र में सीमांत किसानों की संख्या अच्छी-खासी है। सीमांत किसान वो हैं जिनके पास 2.5 एकड़ भूमि या 1 हेक्टेयर से कम है। उनमे से कुछ गांव में रहकर खेती करते हैं और कुछ…
युवाओं का नाट्य समूह करेगा समाज में फैली अराजकता का पर्दा फ़ाश …
नाट्य प्रयोग : ‘WARNING’ (वॅर्निंग) नाट्य की भाषा : हिंदी विषय : भारतीय समाज मे हो रहे अन्याय के खिलाफ हमारा अगला क़दम । विवरण : युवा ग्रूप, वर्धा प्रस्तूत कर रहा है एक अनोखा नाट्य प्रयोग जिसका नाम है वार्निंग- अगर अब भी नहीं जागे तो बहूत देर हो…
युवास्था और उत्तर प्रदेश के युवा
युवास्था जीवन का एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है. यह समय बचपन और समझदारी के बीच का ब्रिज होता है. पढाई पूरी होने के बाद नौकरी मिलने या न मिलने के मध्य यह समय युवा अलग-अलग तरीको से बिताते हैं. समय की प्रचुरता को अपनी समझ, सोच और संपर्क के…
दक्षिण अफ्रीका की महिला ट्रक चालक
सड़क परिवहन भारत की ही भांति दक्षिण अफ़्रीकी राष्ट्रों में भी आर्थिक व्यवस्था की एक महत्त्वपूर्ण इकाई है. इस क्षेत्र के सबसे बड़े (और सर्वाधिक संपन्न) राष्ट्र होने के कारण दक्षिण अफ्रीका ही व्यापार व आर्थिक व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है. ऐसे में कुशल ट्रक ड्राईवरों का अभाव अफ़्रीकी अर्थव्यवस्था…
लातूर में पानी पर धारा – १४४
धारा १४४ का इस्तेमाल पहली बार भारत में अंग्रेजो द्वारा १८६१ में किया गया था, जो कि आज़ाद भारत में १९७३ को कानूनी रूप में ढला. इसका उस समय भी इस्तेमाल आज़ादी की मांग को लेकर संगठित होने वाले लोगों के खिलाफ किया जाता था, ताकि अंग्रेजी हुकूमत बरक़रार रहे.
बांद्रा कलेक्टर ऑफिस मुंबई : मातंग समाज का प्रदर्शन
२८ दिसम्बर ,२०१५ को मातंग समाज ने बांद्रा कलेक्टर ऑफिस के सामने शांतिपूर्वक धरना दिया और अपनी मांगे रखीं.
‘भटके विमुक्त जनजातियों’ के अच्छे दिन कब आयेंगे ?
सन् १९०० में ब्रिटिशों ने हिनुस्तान में छोटी-बड़ी संस्थानों (राज्य) को हटाकर अपनी हुकूमत कायम की. उस दौरान किसान, आदिवासी, भटके विमुक्त जनजाति और पिछड़े वर्गों को बड़े पैमाने पर सताया गया. उसके परिणाम सवरूप अंग्रेजों के खिलाफ १८५७ के उठाव में बिरसा मुंडा, तांत्या भील और उमाजी नायक के नेतृतव में विद्रोह उमड़ा. लेकिन अंग्रेजों के द्वारा इन आवाजों को दबाया गया.
देश vs भक्त
विशाल भरद्वाज आज कल टी.वी पे आप लोग काफी सारे डिबेट देख रहे होंगे, काफी सारे डिबेट्स में स्टूडेंट से संबंधित विषयों पे चर्चा किया जा रहा है. इन में से अधिकतर न्यूज़ चैनल के एंकरों ने स्टूडेंट मूवमेंट को देश हित में न होने का दावा करते हुए उन्हें राष्ट्र…
क्रांतिगुरू लहुजी सालवे- मातंग समाज
संतोष थोराट भारत के प्रथम, क्रांतिगुरू लहुजी सालवे जन्म: १४ नवंबर १७९४ निर्वाण: १७ फरवरी १८८१ थोर समाजसुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले इनके गुरू, क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले इनके अंगरक्षक, महात्मा ज्योतिबा फुले- क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले इन्होने देश में लडकियो के लिए, दलित, आदिवासी, ओबीसी,मुस्लिम समाज के लिए सर्वप्रथम स्कुल सुरू करके शिक्षा देने का…
विकास की जुमलेबाजी के बीच राम मंदिर का राग
जयन्त जिज्ञासु आज मुल्क जिस स्थिति से गुज़र रहा है, वहाँ क्षणिक सियासी फायदे के लिए इंसानियत को दाँव पर लगाने वाले सियासतदाँ सबसे बड़े देशद्रोही हैं।लोकतंत्र में चुनावी तंत्र की कमज़ोरियों का लाभ उठाकर सत्तासीन होने वाले लोग जब ये भूल जाते हैं कि जम्हूरियत जुमलेबाजी से नहीं चला…
रोहित के लिए एक हो रहा हिंदुस्तान !
दि.२७/०१/२०१६ को ‘जस्टिस फॉर रोहित वेमूला- जॉइंट एक्शन कमिटी’ और ‘इंडियन मुस्लिम इंटेलेक्चुअल फोरम’ द्वारा एक पत्र्कार सभा का मराठी पत्र्कार भवन में आयोजन किया गया.
बाल संरक्षण की आवश्यकता
राकेश प्रजापति भारत विश्व के लगभग १९ प्रतिशत बच्चों का घर है. राष्ट्र की जनसंख्या के एक तिहाई से भी अधिक, लगभग ४४० मिलियन बच्चे१८ वर्ष की आयु से कम है. बच्चों…
अण्णा भाऊ साठे
पहला द सभा का प्रकाशन लोक साहिर अन्ना भाव साठे को समर्पित है. अन्ना भाव साठे सांगली जिला के दलित मातंग समुदाय से थे. अपनी जाति और ग़रीबी के कारण वो बचपन में अपने पढाई नहीं कर पाए. अन्नाभाव मुंबई में दो चीजों की ओर आकर्षित हुए – एक अलग…