विशाल भरद्वाज आज कल टी.वी पे आप लोग काफी सारे डिबेट देख रहे होंगे, काफी सारे डिबेट्स में स्टूडेंट से संबंधित विषयों पे चर्चा किया जा रहा है. इन में से अधिकतर न्यूज़ चैनल के एंकरों ने स्टूडेंट मूवमेंट को देश हित में न होने का दावा करते हुए उन्हें राष्ट्र…
Month: February 2016
क्रांतिगुरू लहुजी सालवे- मातंग समाज
संतोष थोराट भारत के प्रथम, क्रांतिगुरू लहुजी सालवे जन्म: १४ नवंबर १७९४ निर्वाण: १७ फरवरी १८८१ थोर समाजसुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले इनके गुरू, क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले इनके अंगरक्षक, महात्मा ज्योतिबा फुले- क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले इन्होने देश में लडकियो के लिए, दलित, आदिवासी, ओबीसी,मुस्लिम समाज के लिए सर्वप्रथम स्कुल सुरू करके शिक्षा देने का…
देवनार डंपिंग ग्राउंड की आग
हारून शैख़ यहाँ पे प्रदुषण और गन्दी हवा से तकलीफ कई किस्म की है, लेकिन आदमी बोलता है न की इतना वक़्त है इंसान के पास की सीना खुख्राए. खांसी हो रही है. कहीं चला जाये. किसी आदमी को नोर्मली खांसी भी होती है तो वो बड़े से बड़े डॉक्टर के…
विकास की जुमलेबाजी के बीच राम मंदिर का राग
जयन्त जिज्ञासु आज मुल्क जिस स्थिति से गुज़र रहा है, वहाँ क्षणिक सियासी फायदे के लिए इंसानियत को दाँव पर लगाने वाले सियासतदाँ सबसे बड़े देशद्रोही हैं।लोकतंत्र में चुनावी तंत्र की कमज़ोरियों का लाभ उठाकर सत्तासीन होने वाले लोग जब ये भूल जाते हैं कि जम्हूरियत जुमलेबाजी से नहीं चला…
इब्तेदा : रविश कुमार टाटा सामाजिक विज्ञानं संस्थान में मीडिया और सरकार पर बुल्बुलाते हुए
खुली हुई खिड़कियाँ है बस दिमाग बंद है आँखें भभक रही है और जुबां लहेक रही है एक टीवी है और शोर भरी शांति है वो जो सब के बीच बैठा है, तूफ़ान पैदा करता है सवालों से नावों को हिला दुला देता है ३दी होती हमारी कल्पनाओं में रोमांच…
रोहित वेमुला की हत्या : शिक्षण संस्थाओं में लोकतांत्रिक समतामूलक माहौल का आभाव
जैनबहादुर आज के इस आधुनिक लोकतांत्रिक सभ्य समाज में रहते हुए हमारे सामने कभी कभी ऐसी घटनाएँ घट जाती है या फिर घटा दी जाती है जो हमे यह सोचने को मजबूर कर देती है कि क्या हम एक सभ्य लोकतांत्रिक समाज में ही रहते है? ऐसी घटना जिसका परिणाम…
मूतने का चस्का
मनीष बरोनिया पसीने से तेल बना के, चमड़ी की बाती कर ली, और जला के खुद को हमने जिंदगी बसर कर ली….. किवाड़े, खिड़कियाँ, और दीवारे नहीं है, सब खुला पड़ा है, कोई चौकीदारें नहीं है… यूँ बेखबर से, कुछ ढूँढने मत आया करो, मेरा परिवार सोता है, इस फूटपाथ…