अमरीकी गायक और संगीतग्य जेम्स ब्राउन का 1966 में गाया गया प्रसिद्ध गाना “इट्स अ मैन’स वर्ल्ड” (ये संसार पुरुष-निर्मित और केन्द्रित है) आज भी अपनी प्रासंगिकता बरक़रार रखता है. कारण, चाहे भारत हो या पश्चिमी देश, या दुनिया का कोई भी कोना—ये दुनिया और समाज पुरुष केन्द्रित ही है!
आज़ादी, इंक़लाब और लोकतंत्र के बीच पाकिस्तान
ये लेख पत्रकार प्रक्सिस से लिया गया है कुल्हाड़ियाँ और डंडे लेकर प्रधानमंत्री निवास की तरफ बढ़ते हजारों लोग, कंटेनर को अस्थायी मंच बना कर बाकी समर्थकों के साथ बैठा हुआ एक नेता किसी भी देश के लिए अपने आप में भयावह दुस्वप्न है. फिर इस आज़ादी जुलूस के बरक्स…
भूटान देश के बूढों की गाथा
-डेअचें (भूटान से ) भूटान में वृद्धावस्था में अधिकांश लोगों का समय आमतौर पर या तो माला जपते हुए बीतता है, या फिर मंदिर-देवालयों में परिक्रमा कर इष्ट-देवों को प्रसन्न करते हुए. उम्र के साथ इश्वर के प्रति आस्था का बढ़ना एक सहज प्रक्रिया है….
गाय कटे या न कटे , मुद्दा ये नहीं है , मुद्दा है लाखों लोगों के रोजगार का. गाय तो पहले से हीे नहीं कटती, अब कट रही है राजनीति
महाराष्ट्र में ही नहीं पुरे भारत में पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गाय की हत्या पर पाबन्दी लगी हुई है। क्योंकि ये भारत के एक समाज वर्ग की भावनाओ से जुड़ा हुआ है। और इसका हमारे देश का हर समाज पूरी तरह से समर्थन करता है जिसका उदाहरण एशिया के सबसे बड़े कत्तलखाने में (जो की मुंबई के देवनार में है) देख कर लगाया जा सकता है। इस कत्तलखाने में आजतक एक भी गाय को नहीं काटा गया। यहाँ पर केवल उन्ही बैलों को काटा जाता है जो कि किसी भी रूप में कृषि में प्रयोग में नहीं लाये जा सकते।
गाय तो कटती ही नहीं : ये सब इनके नाटक हैं
लीडिया थोमस विद्यार्थी टाटा सामाजिक विज्ञानं संसथान , मुंबई कुर्ला पूर्व में ,कसाईवाडा जिसे कुरैशी नगर से भी जाना जाता है, वो अनेक खटीक समुदाय का घर है, जिनमें से अधिकतर लोग मुंबई के वधशाला में काम करते हैं. राष्ट्रपति के द्वारा इस २० साल पुराने बिल पर मंजूरी के…
वाराणसी: नुक्कड़ नाटक और पंचायत चुनाव
गाँवों में आगामी पंचायत चुनाव की सरगर्मियाँ अभी से बढ़ गयी हैं। गली नुक्कड़ चौराहों पर अभी से पंचायत चुनाव में ताल ठोकने वाले भावी उम्मीदवार प्रत्याशी मुर्गा,दारू,पैसा,आदि का लालच दिखाकर अपने अपने पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिए हैं। गाँवो में अभी से ही तनाव,गुटबाजी,दिखना भी शुरू हो…
प्रवाल्लिका केस: हिन्जरो के लिए न्याय
जो लोग पुरुष और महिला लिंग के दोहरे मापदंड में नहीं समां पाते, क्या उन्हें समाज में इज्जत से रहने का कोई हक नहीं है ? क्या समाज उन्हें व्यक्तिगत, सार्वजिनिक और राजनितिक जगह दे नहीं सकता ? प्रवाल्लिका कि हत्या १७ जनवरी को हैदराबाद में हुई, जिसके बाद उसके…
जो दिखता है वो बिकता है
“कौन कमबख्त जानकारी देने के लिए छापता है ? हम तो छापते हैं कि विज्ञापन होने पाए, आवाज़ पैसे की आप तक, और गैर जरूरी साजो सामान की चाह जुबान पर पानी से भी पहले आवे.. जब सोच भी देखने, सुनने से विकसित होती है, तो हम सुनायेंगे और हम…
आग: मुंबई के विद्यार्थिओं ने किया ठाणे महानगरपालिका का पर्दाफाश
विभिन्न कॉलेजों से छात्र एक्शन और जागरूकता समूह (ए ए जी) नामक एक समूह के गठन से सामाजिक मुद्दों की दिशा में काम कर रहे हैं। इस समूह के छात्रों ने ठाणे महानगरपालिका में आरटीआई दायर की थी। जिससे उन्हें महानगरपालिका की काली करतूतो का पता लगाया जिसका उन्होंने संवाददाता सम्मलेन के जरिए २३ जनुअरी को पर्दाफाश किया।
महिला पत्रकारिता और मीडिया की दादागिरी
मैं नवी मुंबई में रहती हूँ. कुछ समय पहले में एक नामी अंग्रेजी अखबार में काम करती थी. गर्भावस्था के बाद मेरा बच्चा ऑपरेशन से हुआ, जिसके कारण मुझे कुछ दिन और छुट्टी की जरूरत पड़ी. लेकिन मुझे निकाल दिया गया. मीडिया जगत में महिला पत्रकारों के साथ बहुत पक्षपात…
सरकार हमसे डरती है, ट्विटर और फेसबुक को आगे करती है
जन आंदोलनों का नारा सरकार हम से डरती है पुलिस को आगे करती है, शायद कुछ दिनों में बदल जाए. आजकल सरकार के प्रतिनिधि और मीडिया जगत के लोग, फेसबुक और ट्विटर से ही ज्यादा काम चला रहें हैं. कहतें हैं कि ट्रेंडिंग करो , # लगा के. और…
अण्णा भाऊ साठे
पहला द सभा का प्रकाशन लोक साहिर अन्ना भाव साठे को समर्पित है. अन्ना भाव साठे सांगली जिला के दलित मातंग समुदाय से थे. अपनी जाति और ग़रीबी के कारण वो बचपन में अपने पढाई नहीं कर पाए. अन्नाभाव मुंबई में दो चीजों की ओर आकर्षित हुए – एक अलग…