Wed. Jan 29th, 2025

कविता

एक दिन

एक दिन जब सारे ग़रीब सारे मज़दूर सारे मज़लूम मुत्तहिद हो जाएंगे खड़े हो जाएंगे हुक्मरानों के खिलाफ़…