Mon. Dec 23rd, 2024

कविता

एक दिन

एक दिन जब सारे ग़रीब सारे मज़दूर सारे मज़लूम मुत्तहिद हो जाएंगे खड़े हो जाएंगे हुक्मरानों के खिलाफ़…