हर्शल पाटिल
दि.२७/०१/२०१६ को ‘जस्टिस फॉर रोहित वेमूला- जॉइंट एक्शन कमिटी’ और ‘इंडियन मुस्लिम इंटेलेक्चुअल फोरम’ द्वारा एक पत्र्कार सभा का मराठी पत्र्कार भवन में आयोजन किया गया.
यहाँ पर विविध राजकीय पक्षों के पदाधिकारियों के अलावा काफी सक्रिय आन्दोानकर्ता भी मौजूद थे. इस वक़्त मुस्लिम नेताओ ने कहा कि हम भी उन लोगो में थे, जिन्होने भाजपा को वोट दिया था, हम लोगो को बीफ बंद पर भी कोई शिकायत नहीं है, मगर हमे शिकायत ये है की जिस ताकात से बीफ बंद को पुलिस लागु कर रही है, उसी ताकत से नशे की चीज़ो पे करे तो कितनी ज़िंदगियाँ सुधर जाये. ईसिस के नाम पर बेकसूर मुस्लमान नौजवानो को पकड़ा जा रहा है.
फिर दूसरे एक वक्ता ने कहा की रोहित के पास शांत रहकर व्यवस्था के साथ जुड़ जाने का विकल्प था. मगर उसने लड़ना पसंद किया क्यूंकि उसका इस देश के सविंधान पे भरोसा था.
२००७ मैं करी गयी सुखदेव थोरात समति के आंकड़े पढ़े गए जिसमे कहा गया था की १००% दलित स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी मै कभी न कभी जातिभेद का सामना करना पड़ा है. ८६% ने हॉस्टल, ७७% ने हॉस्टल मै, ७५% को बास्केटबॉल ग्राउंड, ७२% को क्रिकेट मैदान पर जातिभेद का सामना करना पड़ा.
निर्भया के केस में किसी ने उसकी जाति नही पूछी पर ये रोहित के केस मै क्यों हो रहा है? किस भी संस्थान मै सीखाने वाले प्राध्यापको को एकदूसरे की जाति के बारे मै पता होता है बल्कि किसी भी छात्र के दाखिला होते ही उसकी जाति के बारे मै लोगो को पता चल जाता है.
किसी उचिजाति वाले को अस्पताल मै अगर खून की जरुरत पड़े तो वो क्या ब्लड बैंक मै पूछता है की मुझे सिर्फ ब्राह्मण का खून चाहिए? जिस दिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की गयी वही दिन रोहित का जनम दिन है!
इसलिए इस क़ुरबानी को हम जाया नहीं जाने देंगे और हम हमारा आंदोलन शनि मंदिर का आंदोलन कर रही उन् लडाऊ औरतों को भी अपना समर्थन देते है और ये आंदोलन हाजी अली तक भी बढे इसलिए २८ तारीख को दोपहर ३ बजे आज़ाद मैदान पर एक सभा का आयोजन करनेवाले है. साथहीसाथ १ तारीख के सुबह ११ बजे होने वाले भायखला (रानीबाग) से लेकर विधान भवन शांतिमय मोर्चे को अपना समर्थन देते है.