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सुप्रिया झा

 

प्रवास एक तरह से जीने और काम करने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाने का एक तरीका है। नौकरी, आश्रय और कुछ अन्य कारणों से अपने घर से दूसरे शहर / राज्य / देश में लोगों का जाना प्रवास कहलाता है। 

प्रवास कोई नया शब्द या तरीका नही है भारतीयों के लिए इसकी शुरुआत तब हुई थी जब ब्रिटिश शासन के दौरान 1833 में पलाखों भारतीयों को यूरोपियन मजदूरों के विकल्प के रूप में यूरोपियन कॉलोनीज में मजदूरों के रूप में पहुँचाया गया था। इस प्रणाली को भारतीय इंडेंट्योर(Indenture) प्रणाली के रूप में जाना जाता था। इस प्रवास के दौरान 1.5 मिलियन इंडियंस को कॉलोनियों में भेज दिया गया था।

2001 की जनगणना के अनुसार 1.02 बिलियन में से, 307 मिलियन यानी कि 30% को जन्म के स्थान पर प्रवासियों के रूप में सूचित किया गया था।

प्रवासियों की संख्या – 

2011 की जनगणना, NSSO सर्वेक्षण और आर्थिक सर्वेक्षण बताते हैं कि लगभग 65 मिलियन अंतर राज्य प्रवासी हैं जिनमे 33% श्रमिक हैं।

इनमे से देखा जाए तो जनगणना के अनुसार प्रवासी महिलाओं की संख्या सबसे अधिक निर्माण क्षेत्र में है जिसमें शहरों में 67% और ग्रामीण क्षेत्र में 73% शामिल हैं।

वही प्रवासी पुरषो की संख्या सार्वजनिक और आधुनिक सेवाओं में अधिक है जिसमें शहरों में 16% और ग्रामीण क्षेत्र में 40% शामिल हैं।

(Title – Indian migrants across India, written by – Sushant singh and Aanchal Magarine, 29 April 2020, Indian express, New Delhi).

2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार और उत्तर प्रदेश में बाहर जाने वाले प्रवासियों की संख्या लगभग 20.9 मिलियन है जिसमें 37% इंटर-राज्य प्रवासी हैं।( Abhishek Jha and Vijdan, Hindustan Times, 20 July 2020, New Delhi)

पंजाबी यूनिवर्सिटी के विकास अर्थशास्त्र के केंद्र द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, शहरों में आने वाले 70% लोग पंजाब राज्य के बाहर से हैं और केवल 30% ग्रामीण पंजाबी हैं। (70% workforce in Punjab cities is from outside state, says study. Gurpreet Nibber, Hindustan Times, Chandigarh, 15 oct 2020)

वहीं अगर बात करे बिहार के प्रवासियों की तो उनमे से 31% पंजाब में बसे हुए हैं।

 

प्रवासन के कारण –

1.आर्थिक कारण : रोजगार और गरीबी लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पलायन करने के लिए मजबूर कर सकती है। आमतौर पर लोग रोजगार के अवसरों की तलाश में शहरों की ओर पलायन करते हैं। 

ऑल इंडिया प्रोपोरशन ऑफ इंटर्नल मिग्रन्ट्स बाय रीजन्स फ़ॉर माइग्रेशन (All indian proportion of internal migrates by reason for migration) के 2007-08 की रिपोर्ट्स के अनुसार भारत मे रोज़गार या आर्धिक कारणों की वजह से पुरषो के माइग्रेशन का दर 29.1 (100 में से पूर्णांक करके) है और महिलाओ में 0.5 (100 में से पूर्णांक करके), ये उनका दर है जो अपने गाँवों से दूसरे गाँव आये। 60.9 (100 में से पूर्णांक करके) पुरुषों और 2.6 महिलाओ का दर है जो अपने गाँव से नौकरी के लिए किसी शहर आये।

भारत मे लगभग 5.20 लाख प्रवासी हैं जो बिहार से हैं। 

जहां पंजाब में राज्य के 1.49 लाख लोग प्रवासी हैं जो के दूसरे राज्यो से पंजाब में बसे है और इनमें से 14,441 ऐसे प्रवासी हैं जो नौकरी या रोज़गार के कारणों से पंजाब आये ।

(Punjab tops lists of city migrants, Times of India, Rajinder , Chandigarh, 1 august 2019)

2. सामाजिक कारण –  सामाजिक कारकों जैसे पारिवारिक विवाह, बच्चों आदि के कारण भी प्रवास हो सकता है। हमारे भारतीय समाज में विवाह के बाद लड़कियों को दूल्हा के निवास पर निर्णय लेना होता है।

भारत मे शादी के बाद एक गाँव से किसी और गाँव माइग्रेशन करने वाले पुरषो में इसका दर 12.2 और महिलाओ में 92.6 (100 में से पूर्णांक करके) है।

वही शादी के बाद एक गाँव से दूसरे शहर जाने वाले पुरषो का दर 1.6 और महिलाओं का 62.8 है।

बिहार में आधे से अधिक घरों में आईआईपीएस(International Institute for Population Sciences) के हाल के अध्ययनों से प्रवास के बारे में पता चला। जिसमें गरीबी और विकास न होने के कारण  47% महिलाएं साक्षर हैं, 22% मजदूरी के लिए काम करती हैं और उनमें से 3/4th अपने पति से फोन पर संवाद करती हैं।

मौसमी प्रवास बिहार में अधिक प्रमुख है, क्योंकि मौसमी प्रवासन का 90% बिहार से होता है। (50% of Bihar households exposed to migration : study, Times of India, BK Mishra, 15 Feb 2020)

कुल 1.49 लाख प्रवासियों में से 19,748 प्रवासी वो हैं जो शादी के बाद पंजाब में प्रवास करके आये। 

3. पर्यावरणीय कारण : प्राकृतिक आपदाएँ जैसे बाढ़, अकाल, सूखा, भूकंप इत्यादि, के कारण लोगों को सुरक्षित स्थान पर पलायन करने के लिए मजबूर होना पडता है, बेघर लोगों को देश के दूसरे हिस्सो में पलायन करना पड़ता है।

2019 में भारत में 50 लाख से अधिक आंतरिक विस्थापन हुए, जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। 2019 में दुनिया भर में आपदाओं के कारण होने वाले सभी आंतरिक विस्थापनों में से एक भारत था, जो ज्यादातर बाढ़, चक्रवात और सूखे के कारण होता था।

दक्षिण-पश्चिम मानसून की वजह से बाढ़ के कारण 26 लाख विस्थापन हुए, जबकि चक्रवात फानी में 18 लाख विस्थापन हुए, इसके बाद चक्रवात वायु और बुलबुल आए। दूसरी ओर, 19 राज्यों में सूखे की स्थिति के कारण अन्य 63,000 विस्थापन हुए। (Lost at home: Over 5 million people internally displaced in India in 2019, says UN report

PTI, 5 may 2020, The Hindu)

जल संसाधन प्रबंधन और पर्यावरण पर राज्यवार रैंकिंग भी बनाई गई थी। पर्यावरण पर शासन का राष्ट्रीय औसत 5.6 था 10 में से। अकेले पंजाब का स्कोर राष्ट्रीय औसत से बड़ा था। पंजाब का स्कोर 5.2 था।

बिहार बाढ़ के लिए सबसे कमजोर राज्य है। मोटे तौर पर, 69.70 लाख हेक्टेयर भूमि और उसके भू-भाग का 74% क्षेत्र विनाशकारी और बार-बार होने वाली बाढ़ से प्रभावित होता है (एनआईडीएम – राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन रिपोर्ट 2011)

4. चिकित्सक कारण: कुछ लोग बेहतर चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल के कारणों से पलायन करते हैं। कुछ लोगों को खराब स्वास्थ्य स्थिति का अनुभव हो सकता है क्योंकि क्षेत्र की जलवायु उनके अनुरूप नहीं हो सकती है।

कुछ शहर में उच्च प्रदूषण स्तर हो सकता है और इसलिए खराब स्वास्थ्य वाले लोगों को समाज में रहने की अनुमति नहीं दे सकता है ऐसे लोग कम प्रदूषण स्तर वाले अन्य शहरों में चले जाते हैं और जहां उचित स्वास्थ्य देखभाल संभव है।

प्रवासन जनसंख्या की गतिशीलता का एक अभिन्न अंग है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण 2007-08 के अनुसार, भारत में प्रति 1000 घरों में प्रवासी परिवारों की संख्या शहरी क्षेत्रों में 33 थी। रोजगार से जुड़े कारणों से दो-तिहाई परिवारों ने पलायन किया। एक और 21% परिवार अध्ययन के उद्देश्य से चले गए। परिवारों के प्रवास के अन्य कारणों में जबरन पलायन (प्राकृतिक आपदा, सामाजिक / राजनैतिक समस्या, और विकास परियोजनाओं द्वारा विस्थापन), स्वयं के फ्लैट / घर का अधिग्रहण, आवास की समस्या, स्वास्थ्य देखभाल, प्रसवोत्तर विवाह, और इसी तरह शामिल हैं। 

(Indian journal of community medicine)

Reasons for Migration

वही बिहार से लगभग 0.2% ऐसे लोग है जो प्रवास चिकित्सक कारणों से करते हैं।

5. शैक्षिक कारण – निवास स्थान पर शैक्षिक सुविधाओं की कमी के कारण, लोग बेहतर शैक्षणिक अवसरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के मामले में आंतरिक प्रवास और अन्य देशों के मामले में शहरी क्षेत्रों में पलायन करते हैं। 2020 तक, भारत युवा लोगों का दुनिया का सबसे बड़ा पूल बन जाएगा, इसके विपरीत, भारत में रोजगार के अवसरों की कमी है, इससे योग्य लोगों का उत्प्रवास होता है।

पंजाब में प्रवासियों की 1.49 लाख गिनती में से 886 ऐसे मामले थे जिसमें लोगो ने शिक्षा संबंधी कारणों से प्रवास किया था।

NSSO की रीज़न ऑफ माइग्रेशन फ्रॉम बिहार टू अदर स्टेट्स 2007-08 की रिपोर्ट के अनुसार  बिहार से लगभग 1.9% प्रवासी लोग ऐसे हैं जो पढ़ाई के कारण प्रवासन करते हैं।

 

सकारात्मक प्रभाव –

1. श्रम मांग और आपूर्ति – प्रवासन श्रम की मांग और आपूर्ति में अंतराल को भरता है, कुशलतापूर्वक कुशल श्रम, अकुशल श्रम और सस्ते श्रम का आवंटन करता है।

2. आर्थिक विप्रेषण – प्रवासियों के आर्थिक कल्याण से मूल क्षेत्रों में परिवारों को जोखिम के खिलाफ बीमा मिलता है, उपभोक्ता खर्च बढ़ता है और स्वास्थ्य, शिक्षा और संपत्ति निर्माण में निवेश होता है।

3. कौशल विकास –  प्रवासन बाहरी दुनिया के साथ संपर्क और बातचीत के माध्यम से प्रवासियों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाता है। 

4.जीवन की गुणवत्ता – प्रवासन, रोजगार और आर्थिक समृद्धि की संभावना को बढ़ाता है जो बदले में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। प्रवासियों को अतिरिक्त आय और प्रेषण घर वापस भेजते हैं, जिससे उनके मूल स्थान पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

5. सामाजिक प्रेषण – प्रवासन प्रवासियों के सामाजिक जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है, क्योंकि वे नई संस्कृतियों, रीति-रिवाजों और भाषाओं के बारे में सीखते हैं जो लोगों के बीच भाईचारे को बेहतर बनाने में मदद करता है और अधिक समानता और सहिष्णुता सुनिश्चित करता है।

6. जनसांख्यिकी लाभ – बहिर्गमन के परिणामस्वरूप, उत्पत्ति के स्थान का जनसंख्या घनत्व कम हो जाता है और जन्म दर घट जाती है।

 

नकारात्मक प्रभाव –

1.जनसांख्यिकी प्रोफ़ाइल: बड़ी संख्या में प्रवासन समुदायों के जनसांख्यिकीय प्रोफाइल को बदल सकता है, क्योंकि अधिकांश युवा बाहर निकलते हैं, जिससे केवल महिलाओं और बुजुर्गों को भूमि पर काम करना पड़ता है।

2.राजनीतिक बहिष्कार: प्रवासी श्रमिक वोट के अधिकार की तरह अपने राजनीतिक अधिकारों का उपयोग करने के कई अवसरों से वंचित हैं।

3.जनसंख्या विस्फोट और श्रमिकों के निवास स्थान में नौकरी, घरों, स्कूल की सुविधाओं आदि के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है और एक बड़ी आबादी प्राकृतिक संसाधनों, सुविधाओं और सेवाओं पर बहुत अधिक दबाव डालती है।

4.अनपढ़ और अशिक्षित प्रवासी न केवल बेसिक ज्ञान और जीवन कौशल की कमी के कारण, अधिकांश नौकरियों के लिए अयोग्य हैं, बल्कि महिला प्रवासियों के मामले में शोषण, तस्करी, मनोवैज्ञानिक शोषण और लिंग आधारित हिंसा के शिकार होने का भी खतरा है।

5. स्लम : मास माइग्रेशन से स्लम क्षेत्रों में वृद्धि, गंतव्य पर बुनियादी ढांचे और जीवन की गुणवत्ता में समझौता होता है, जो आगे चलकर अनजानी परिस्थितियों, अपराध, प्रदूषण आदि जैसी कई अन्य समस्याओं में बदल जाता है।

बाहर के देशों से भारत मे भेजा जाने वाला धन –

आज, भारत के पास 110 से अधिक देशों में सबसे बड़ा वैश्विक प्रवासी हैं। विदेशों में 30 मिलियन भारतीय हैं और भारत 2018 में 79 बिलियन डॉलर की आवक के साथ प्रेषण का शीर्ष प्राप्तकर्ता था। 

अपने परिवारों को प्रेषण के रूप में अरबों डॉलर भेजने वाले इन लाखों लोगों ने भारत की मदद की है, क्योंकि यह उनकी भलाई और राष्ट्रीय आय का एक अपरिहार्य स्रोत बन गया है। 

भारत में जो राज्य बड़े पैमाने पर प्रवासन देखते हैं वे हैं उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश। ये राज्य भारत के कुल प्रेषण का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रखते हैं, जिसमें केरल सबसे अधिक (19 प्रतिशत) है। यूपी में सबसे ज्यादा प्रवासी हैं, उसके बाद बिहार है।

जबकि एक पूरी के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था विदेशों से प्रेषण पर निर्भर नहीं है, केरल और पंजाब जैसे राज्य दुनिया में सबसे प्रेषण-निर्भर अर्थव्यवस्थाओं में से हैं। (moneycontrol.com, Nila Nair, 1 may 2020)

 

रिवर्स माईग्रेशन –

Source – The Economic Times

कोरोना वायरस की वजह से हुए इस अचानक के लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा मजदूरों को ही दिक्कत दी है। अपने घर वापस आने के लिए लाखों ही मज़दूर पैदल चल कर, हज़ारो किलोमेटर्स का रास्ता तेय करके आये। जिनमे से कितनो की रास्ते मे मौतें भी हो गयी, जिसका डेटा सरकार के पास मौजूद नही(ऐसा सरकार का कहना है)। 

रिवर्स माइग्रेशन की वजह से सबसे ज्यादा प्रभाव UP और बिहार की जनसंख्या और स्त्रोतों पर पड़ा जहाँ 2.36 मिलियन प्रवासी वापस लौटे लॉकडाउन के दौरान। (livemint, Anuja and Ayan Verma, 23 June 2020)

पंजाब में दूसरे राज्यो से लगभग 6.4 लाख प्रवासी मजदूर घर वापस आना चाहते थे। (The Economic times , Prashant kumar, ET bureau, 3 May  2020)

अगर बात करे 2020 के भारत के माइग्रेशन रेट की तो ये इस बार -0.369 देखा गया प्रति हज़ार की जनसंख्या के अनुसार।

2020 के माइग्रेशन रेट में 3.66% का घटाव है 2019 से, जो 2019 में -0.383 था प्रति 1000 की जनसंखया के अनुसार। (UN-World population prospects).

 

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