दिलराज सूद
अंग्रेजी में अनुवादित – मानवी शर्मा,
मोतीलाल नेहरू कॉलेज
कोरोना के शुरुआती दिनों में जब देश में जनता कर्फ्यू लगा तो लोगों ने खुद ही अपने आप को घरों में बंद कर लिया था और यह साबित किया था कि वह कोरोना से जंग के लिए पूरी शिद्दत के साथ कोरोना को हराने के लिए तैयार है। फिर 11 दिन का लॉकडाउन लगा तब सबको यही लग रहा था कि 11 दिन कैसे कटेंगे। और आज देखते-देखते 7 महीने होने वाले है, बेशक अब अनलॉक की स्थिति में काफी छूट मिली हुई है लेकिन छोटे व्यापारियों के व्यापार पर किसी भी प्रकार का कोई फर्क नजर नहीं आ रहा, इसकी कई वजह है, मुंबई से बड़ी तादाद में लोग अपने गांव की ओर रवाना हो चुके हैं और उनमें से ज्यादातर अभी तक वापस नहीं लौटे हैं, क्योंकि स्थिति अभी भी सामान्य नहीं है बड़ी-बड़ी कंपनियां फैक्ट्रियां अभी भी बंद है ऐसे में लोग वापस आकर करेंगे भी तो क्या। इसका बहुत बुरा असर सब्जी बेचने वालों पर फल विक्रेता, स्टेशनरी, सैलून और इसी प्रकार के अन्य छोटे व्यापारियों का बुरा हाल है।
दत्ता चव्हाण – सब्जी विक्रेता ने बताया कि लॉकडाउन से पहले उनका धंधा अच्छा हो जाता था और किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी लेकिन अब यह तो सब्जियां महंगी मिल रही है और साथ ही बिक नहीं पाती, बहुत कम ग्राहक आते हैं।
वी. एन. पटेल – शिव शक्ति स्टेशनरी के मालिक इनका कहना है कि 30 साल से उनकी दुकान यहां पर है और पहली बार है कि जब सिर्फ 20% धंधा रह गया है। बच्चों की स्कूल बंद है ऐसे में क्या बिकेगा यह तो हम बाकी चीजें भी रखते हैं इसलिए थोड़ा धंधा चल रहा है।
इमरान अहमद- उस्तरा नाम से सैलून चलाते हैं पांच महीने सैलून बंद था इनकी किराए कि जगह है और अब दो महीने से सैलून खुले है पर ग्राहक न के बराबर आ रहे है।
मुमताज़ शेख – अमीना रेडीमेड गारमेंट, ने बताया कि किराए कि दुकान है 45 हजार रूपए किराया है दुकान मालिक ने सिर्फ दो महीने का किराया नहीं लिया। ऐसे में अगर जल्द कोरोना से निजात नहीं मिली तो व्यापार बंद करने की नौबत आ जाएगी। क्योंकि इस समय धंधा न के बराबर है।
तुषार तिवारी – पतंजलि स्टोर चलाते हैं इनकी भी किराए कि जगह है, तुषार ने कहा कि वह कड़ी मेहनत करके स्टोर खोलने की स्तिथि तक पहुंचे हैं और अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था पतंजलि स्टोर शुरू हुए ऐसे में कोरोना काल शुरू होने से काफी परेशानी हुई हैं। इनका भी दुकान मालिक ने सिर्फ दो महीने का किराया नहीं लिया।
कुणाल गुप्ता – नेत्र ज्योति नाम से चश्मे कि दुकान चलाते हैं दुखी होते हुए बताया कि पिछले 7 महीने में कोई किराया दुकान मालिक ने नहीं छोड़ा है, और धंधे की स्थिति एकदम जीरो है, बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ग्राहक है ही नहीं।
इसी प्रकार “जय भवानी ट्रैवल्स” वालों का कहना है कि पहले से धंधा लगभग 40% कम है ऐसे में स्टाफ की सैलेरी और जगह का किराया निकालना काफी मुश्किल हो रहा है। ऐसे ही हालात का सामना किराना स्टोर हो या पान – बीड़ी की दुकान सभी करने को मजबुर है। क्षेत्र की 10 में से 7 चाय की टपरिया तो लगभग बंद ही पड़ी है और जो किसी तरह चला रहे है उन्हें भी ग्राहकों के लाले पड़े है। सभी को कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है ताकि उनका भी रोजगार पटरी पर लौट सकें और देश-विदेश सभी को छुटकारा मिले।