५ जनवरी २०१६ को मुंबई विद्यापीठ द्वारा भारत फिलिस्तीन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.इस कार्यक्रम में जन नाट्य मंच(नयीदिल्ली) और फ्रीडम थिएटर फिलिस्तीन द्वारा एक नाटक प्रस्तुत किया गया.
शुरुवात में कलाकारों का परिचय कराया गया और प्रेक्षकों से फिलिस्तीन के बारे में सवाल भी पूछे गए जिसे लोग फिलिस्तीन और इजराइल संघर्ष के बारे में क्या सोचते हैं और क्या जानते हैं यह जानने की कोशिश की गयी.
नाट्य की शुरुवात नाट्यमय ही हुयी बहुत ही तेजी से और चिल्लाते हुए शुरू हुए इस नाट्य में समयसुचकता का पूरा ख्याल रखा गया था, लोगों को फिलिस्तीन के लोगों का दर्द तो दिखाया गया मगर कही भी जू लोगो को दुश्मन या फिर राक्षस की तरह नहीं दिखाया गया.
हिंदी और इसके साथ ही अरबी दोनों भाषाओ परस्परपुरक किया गया प्रयोग, बीच में योग्य जगहों पर गायें गए अरबी गानों ने नाट्य को एक अलग ऊंचाई पर ले गए.
फिलिस्तीन को प्रतीकात्मक रूप से एक पुतले की तरह दिखाया गया जिसको ३ अलग लोग चला रहे थे, इसके द्वारे दिखाया गया की फिलिस्तीन के ऊपर जबरदस्ती कर किस तरह दुसरे महायुद्ध के जीते हुए देशो ने ज़बरदस्ती इजराइल का निर्माण कराया.
नाट्य में सबसे दिलचस्प रहा संदूक का किया गया प्रयोग उससे जुडी फिलिस्तीनियों की भावनाए, यह संदूक उनके शांति वालो दिनों की यादों से लेकर उनके खुदके घर से बहार निकाले जाने तक की दर्दभरे लम्हों से लेकर आज की लड़ने की आशा तक का प्रतिक हैं.
फिर प्रयोग वर्तमान की और मुड़ा, जिसमे भारत, अमेरिका और इजराइल के संबंध, उनमे हो रहा हथियारों का व्यापर जिस तरह खुद कर्जा दे कर अमेरिका दुसरे देशो को दे रही हथियार खरीदने का लालच और उसके बदले में एकदूसरे के खुल रहे बाजार.
कलाकारों ने बराक ओबामा, नरेन्द्र मोदी, बेंजमिन हुन्तायु के मास्क लगाकर व्यंगात्मक तरीकेसे उनके स्वभाव और योजनाओ पे टिप्पनि की.
उसके बाद अचानक से ही टैंक के लिवाज में आवाज़ करते हुए २ कलाकार प्रेक्षक को बीच से होते हुए स्टेज पर गए और वहा से उनपे गोलीबारी करने लगे और इससे उन्होंने ये दिखाया की ये हथियार कल आप पे भी इस्तेमाल किये जा सकते है जो आप के लिए खरीदे जा रहे हैं.
नाट्य के अंत में सभी लोगो ने खड़े रहकर तालिया बजाकर कलाकारों के कृति को सहराया.