पौने दो लाख शिक्षामित्रों के खिलाफ आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जन विरोध स्वाभाविक है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात स्वीकारी है। आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही के हवाले से मीडिया में खबर आई कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। उन्होने उत्तर प्रदेश सरकार से भी मांग की है कि वह नियम बनाकर शिक्षामित्रों को पूर्ण अध्यापक का दर्जा दिलाए।
नौकरी जाने का दर्द किसी आम परिवार के व्यक्ति से पूछा जा सकता है कि उसकी नौकरी से कितने लोगो का पेट भरता है। यहाँ फैसले के प्रभावित होने वाले लगभग 2 लाख लोग है। उत्तर प्रदेश के 1.72 लाख शिक्षा मित्रों को कोर्ट ने सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजित करने की तो बात की लेकिन शिक्षा मित्रों को राहत देने से इनकार कर दिया है। जिसके चलत्ते जगह जगह विरोध और आत्महत्याओं कि खबरें आ रही है।
उत्तर प्रदेश के कन्नोज में एक शिक्षा मित्रा में नौकरी जाने के सदमे से फांसी लगा दी । और रेलवे ट्रैक में भारी संख्या के साथ लोग पहुचे और इच्छा मृत्यु मांगी । मैनपुरी में भी ऐसी ही घटना हुई । इससे पूर्व भी शिक्षा मित्र हमेशा से पक्की नौकरी के लिए संघर्ष करते आयें है। लेकिन ट्रेंड अध्यापको द्वारा किए गए केस के कारण उनकी भर्ती कोर्ट से रद्द कर दी गयी थी ।
1लाख 78 हजार शिक्षा मित्रों की भर्ती उत्तर प्रदेश कि शिक्षा व्यवस्था मे सुधार लाने के नजरिए से की गयी थी। लेकिन समय समय पर यह सरकारों के चुनावी घोषणा पत्रों का हिस्सा बनता चला गया। मुलायम सिघ ने भी किसी सभा में चुनाओं के दौरान कहा था कि हम शिक्षा मित्रों को स्थायी करेंगे।
प्रदर्शन कर रहे शिक्षा मित्रों की अब पूरी आस योगी सरकार पर है । वो यह दलील भी दे रहे है कि तमिलनाडु के जल्ली कट्टू फैसले के बाद वहाँ की सरकार ने उस पर जैसे अमल किया शिक्षा मित्रों के मामले भी भी करना चाहिए। आने वाले दिनों में अगर इस मसले पर कोई एक राय और हल नहीं निकला तो सत्ता पक्ष के लिए बहुत बड़ी चुनौती सामेनाएगी। क्योकि आत्महत्या के केस लगातार बढ़ रहे है।