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यूजीसी का पुतला जलाते छात्र

Ugc के 06 मई 2016 के notification को सभी विश्वविद्यालयों में लागू हो जाने के विरोध में आज महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के छात्रों ने विरोध प्रदर्शित करते हुए साहित्य भवन से प्रशासनिक भवन तक प्रतिरोध मार्च निकाला । ugc notification की माने तो शिक्षक और शोधार्थियों का निश्चित अनुपात होना चाहिए। इसकी आड़ में विद्यार्थियों के एक बड़े वर्ग को शोध से वंचित रखने की साजिश रची जा रही है। शोध की गुणवत्ता बढाने के लिए जरूरी था कि शिक्षको की संख्या बढाई जाये लेकिन साजिशन विद्यार्थियो की ही संख्या कम कर दी गई। .विद्यार्थियों का मानना है कि सरकार यह notification विश्वविद्यालयों पर इस लिए थोप रही है जिससे की विश्व बाजार के लिए सस्ते श्रम का निर्माण किया जा सके ।
ugc notification के कारण हिंदी विश्वविद्यालय में इस वर्ष एम.फिल की 66 और पी.एच.डी.की 31 सीटे ही आई है जबकि पिछले वर्ष एम.फिल की 240 और पी.एच.डी. की 65 सीटे थी। ugc, केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के ढुल-मुल रवैये के कारण विद्यार्थीयो में हताशा और आक्रोश एक साथ है। शोध की इच्छा रखने वाले विद्यार्थी बहुत परेशान है कि ऐसी स्थिति में वे अपना शोध कैसे कर पाएंगे। ugc के इस निर्णय का दूरगामी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे वंचित समाज के विद्यार्थी प्रभावित तो होंगे ही साथ ही साथ प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
यह विरोध प्रदर्शन आइसा छात्र संगठन (All India Student Association) द्वारा आयोजित किया गया जिसमे भारी संख्या में विद्यार्थियो ने हिस्सा लिया। संगठन के अध्यक्ष अरविन्द यादव ने कहा कि इसकी आड़ में वंचित छात्रों के साथ भेदभाव करने का एक हथियार ईजाद किया गया है जिससे कि आरक्षण के साथ खिलवाड़ कर उसे नष्ट किया जा सके। छात्रों ने अपने आन्दोलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि जब-जब हमारे साथ अन्याय होगा तो हम सभी सड़को पर उतर कर विश्वविद्यालय और ugc का मुँह्तोड जवाब देंगे।

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