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भोपाल : क़र्ज़ में फसें बस्ती के लोगों को आज़ाद किया

शहरों की बस्तियों को फिर से बंधवा मजदूर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.भोपाल की 10 -15 बस्तियों में एक नया व्यापार शुरू हुआ हैजिसमे हमारी गौतम नगर बस्ती भी शामिल थीजिसके चलते बस्ती के गरीब लोग जो पन्नी बीनते है और कचरा उठाते हैं , उन लोगों को एक महिला ने 15 प्रतिशत के ब्याज से बस्ती के लोगों को, अलग-अलग उनकी मुश्किलों में उस महिला ने पैसे दिये थे जिसका ब्याज वे, 2016 से 2017 तक भर रहे थेबस्ती का हर वर्ग का व्यक्ति इस कर्जे में शामिल था .इस परेशानी का खुलासा बस्ती की समूह बैठक में हुई.

बस्ती के लोगों ने बताया की लोग अब ज्यादा दारू पीने लगे हैं और घरों में लड़ाई झगड़े के साथ मार पीट भी जादा होने लगी है तथा माँ बाप घर में खाना भी नही पकाते, बच्चे भीख मंगकर पेट भरते हैं इस चिंता को ख़त्म करने के लिए बस्ती के लोगों ने तय किया की हम सब संगठित होकर इस पर काम करेंगेजो लोग इस मुश्किल को ख़त्म करने के लिए संगठित हुए थेउनके लिए यह एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि बस्ती के लोग अभी तक संगठित नही हुए थे

जिन व्यक्तियों ने उस महिला से कर्जा लिया है वह व्यक्ति उस महिला से बात करने में डरते थे और अपनी ही गलती मान रहे थे कि हम लोगों ने ही तो उन से कर्जा लिया था वो थोड़ी हमारे पास आई थी इतना कर्जा भरने के बावजूद भी बस्ती के लोग उस महिला से बात करने के लिए डर रहे थेएक हफ्ते से लोगों को समझाने और उनको संगठित करने और उस महिला के बारे में जानकारी लेने में हम लोगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी है

उस महिला के बारे में बहुत चर्चा लोगों में हो चुकी थी की जो व्यक्ति उधार के पैसे नही दे पाता उसे वह अपने फैक्ट्री काम काम करने भेज देती है और वह व्यक्ति जब तक उसके पैसे नही कट जाते तब तक वही पर रहता है चाहे पूरी गिन्दगी भर क्यों न रहेयह बाते एक दम सच्ची है. हम बस्ती के कुछ पढ़े लिखे युवा ने मिलकर इस कर्जे का सर्वे किया तो बस्ती के लोगों ने बताया कि जब भी हमने कर्जा का ब्याज सही समय पर नही भर पाए हैं तो वह हमें अपने काम के लिए अपने घर ले जाती है और दिन भर मजदूरी करती है तथा 300 रु देती है, जिसमें से 200 रु ब्याज का काट लेती हैइस तरह लोगों ने अलग-अलग घटना का जिक्र किया और कहा कि कम उधार लेने के बावजूद भी हम सिर्फ उसका ब्याज ही दे पाते हैं, मूल तो एक बार भी नही दे पाए हैं

सर्वे के दौरान हमें यह भी पता चला की उस महिला ने लोगों के (ओरिजनल) दस्तावेज अपने पास ही रखे है जैसे बैंक पास बुक, ATM ,आधारकार्ड तथा उन से अंगूठे लगवाये हैं. इस सर्वे में यह भी पता चला की उस महिला ने उन लोगों को किसी भी तरह की कोई लेन देन की कोई रसीद नहीं दी हैलोगों के पास भी कुछ नही था कि जिससे वे अभी तक उन्होंने कितना ब्याज भरा है, इसका कुछ सबूत उनके पास नही था बस उनको जितना याद था लेन देन का हमने वही जानकारी के तौर पर लिखाइस जानकारी को सुनाने और जानने के बाद, हम लोगों ने कर्जा बटने का लाइसेंस सरकार कितने पर्शेंट में देती है पता किया तो हमने जाना की सरकार 3 % का लाइसेंस हर व्यक्ति को देती है चाहे वो सोनार हो या अन्य कोई व्यक्तिइतनी जानकारी जानने के बाद हम बस्ती के कुछ पढ़े -लिखे युवा और महिलाओं ने मिलकर कर्जदार व्यक्तियों को समझाया की आप लोगों को उस महिला से बात करनी है और हमें एक चिठ्ठी बनानी है जिसमे हम बस्ती के लोग अपनी मांग रखेंगे और उस महिला से बात करेंगे.

दिनाकं 17 /6 /2017 को हम हम लोगों ने उस महिला को बस्ती में बुलाया और अपनी बात उनके सामने रखीउस महिला से तीन चार घंटो तक बातचीत हुई. वो हमारे चिठ्ठी लेने से इंकार कर रही थीउस चिठ्ठी में हमारी चार मांगे थी :15 % ब्याज हम लोग नही देंगे तथा अभी तक जितना भी हम से पूराना पैसे लिया है उसका ब्याज 3% लगाकर हिसाब किया जाये और जितना भी कर्जा बटा हैउसका ब्याज 3% किया जाये तथा हमारे ओरिजनल दस्तावेज हमें वापस दिया जाएइतना उसको बताने के बाद वो महिला नही मानी और बोली की जितने भी मेरे कर्जदार है वे मेरे घर आकर मुझसे इस बारे में बात करेंगेजिसने मुझसे कर्जा लिया है बस वही व्यक्ति बात करेतो हम लोगों ने कहा की यदि आप हमारी बात नही मानोगी तो हमें दुसरे रास्ते या क़ानूनी प्रक्रिया के द्वारा हम आप से बात करेंगेइतना बहस होने के बाद वह महिला अपने घर चली गई और हमारी चिठ्ठी भी नहीं लीफिर हम लोगों ने तय किया की हम लोग उसके घर जायेंगेअकेला व्यक्ति कोई भी नही जायेगा .

19/6 /2017 को  हम लोगो ने जो सर्वे किया था, उन्ही जानकारी और लोगों का पैसे का हिसाब के आधार पर उस महिला के घर गये और कहा की हम लोगों को हिसाब की डायरी या रजिस्टर दिखाया जाये मगर उस महिला ने कहा कि मैं, तुम जो कह रहे हो, वो पूरा करने के लिए तैयार हूँक्या तुम लोग मेरा जितना भी पैसा निकलेगा उसे तुरंत दे पाओगे ? बहुत सारा झगड़ा विवाद होने के बाद, हमारे बनाये गये हिसाब के आधार पर उनका 3% का पूरा पुराना हिसाब निकलकर एक दीदी ने बस्ती के कर्जे का पैसा तुरंत दिया और इस ब्याज के चक्र से बस्ती के लोगों को छुड़वाया .

By मधु धुर्वे

मधु धुर्वे भोपाल में रहती हैं और वहां सोशियोलॉजी में ग्रेजुएशन कर रही हैं.

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