मधुसुदन दास
-रिपोर्टर द सभा ओडिशा
Q…..आप क्वारंटाइन सेंटर कब गए थे, कितने दिन रहे थे और आप कहां से आए थे और क्वॉरेंटाइन सेंटर पर क्या-क्या सुविधाएं आपको दी जा रही थी?
A…मैं जुलाई के महीने में क्वरेन्टीन सेंटर पर रहा था और मुझे उन्होंने 7 दिन रखा था और उसके बाद छोड़ दिया था। वहां पर सब कुछ मिलता था, खाने के लिए देते थे। दो टाइम चावल और सुबह वह देते थे। कुछ समोसे, सोने के लिए बेड नहीं था। नीचे सोते थे लेकिन एक चद्दर देते थे, साबुन देते थे, शैम्पू देते थे और ब्रश देते थे।
मैं चेन्नई में काम करता था और कंपनी में था। वहां से जब आया तो मुझे यहां क्वॉरेंटाइन पर रखा गया। यहाँ मेरे साथ और भी बहुत लोग रहते थे। लगभग 30 लोग थे। उसमें से महिलाएं भी थे पुरुष भी थे । बाहर जो काम करने गए थे, वह सारे लोग आकर कोरेन्टीन पर थे।
Q….आप चेन्नई से ओडिशा अपने घर क्यों आए और कैसे आए?
A….जब करो ना बीमारी फैलने लगा तो हम लोग डर गए और सोचे कि हम घर चले जाएंगे तो हम ₹70, 000खर्च करके 10 लोग मिल के साथ-साथ हजार रुपए खर्च करके एक गाड़ी बुक किया। उसमें हम भुवनेश्वर आए और भुवनेश्वर से सोनपुर आये
और जब हम आ रहे थे चेन्नई से उड़ीसा आने के समय पर कहीं पर भी खाना नहीं मिलता था। बहुत तकलीफ में आए रास्ते पर कहीं पर रुकते थे तो कोई भी सुविधाएं नहीं मिलती थी और नहाना खाना सब कुछ छोड़ कर दो दिन के बाद हम लोग अपने सोनपुर में पहुंचे।
Q….आप चेन्नई में क्या काम करते थे और आपको वहां क्या-क्या सुविधाएं मिलती थी और कितना पगार मिलता था?
A….मैं वहां स्पिनिंग मिल में काम करता था जहां कपड़े बनते हैं, वहा सारे सुविधा उधर थे। कंपनी का जो मालिक है, वह हमको रहने के लिए घर दिए थे, खाने के लिए कैंटीन था, और साफ सूत्रा था, मेडिकल का सुबिधा थोड़ा दूर था लेकिन बाकी सब सुविधाएं बहुत बढ़िया थी। हमको सिक्योरिटी भी प्रोवाइड किया जाता था और हमारा 8 घंटे का ड्यूटी था और ₹500 8 घंटे के मिलते थे।
Q….क्या आपके साथ सोनपुर बलांगीर का और भी लोग चेन्नई पर काम करते थे?
A…..हां, मेरे साथ मेरे सोनपुर बलांगीर बरगढ़ भुवनेश्वर सब जगह के दोस्त काम करते थे और औरतें भी थे। बच्चे भी थे जिनका 18 साल 20 साल उम्र होगा
Q…..आप क्वॉरेंटाइन से घर जाने के बाद फिर चेन्नई जाने का क्यों सोचे और किस लिए फिर से चेन्नई चले गए?
A….मैं जब क्वॉरेंटाइन सेंटर से घर आया तो कुछ दिन घर में रहा कुछ काम नहीं था। मेरे पास पैसों की दिक्कत थी। घर में पैसों की जरूरत थी तो मुझे कोई काम नहीं मिला तो मैं करुणा काल में भी रिस्क लेकर फिर से चन्नेई जाऊंगा। यह सोच के चेन्नई के लिए निकल पड़ा क्योंकि मेरी बहन की शादी है और उसको शादी कराने के लिए बहुत पैसों की जरूरत है तो मुझे मजबूरन फिर से चेन्नई आना पड़ा काम करने के लिए।
Q……अगर आपको आपके शहर में काम मिल जाता तो क्या आप चेन्नई नहीं जाते?
A…….जी नहीं सर मैं कभी नहीं जाता चन्नी, क्योंकि मुझे भी घर से हजार किलोमीटर दूर रहना पसंद नहीं है। मैं भी अपने घर का इकलौता लड़का हूं। घर का देखभाल करना मेरा जिम्मेदारी है क्योंकि पैसे नहीं है। हम असुविधा में है और हमको पैसों की जरूरत है। इसीलिए मैं चेन्नई फिर से आ गया। अगर उड़ीसा में दिन में ₹500 का कोई नौकरी मेरे लिए मिल जाता तो मैं शायद चेन्नई कभी नहीं आता।
Q…..सरकार की तरफ से आपको क्या-क्या सुविधाएं मिलती है और आपके घर वालों को क्या-क्या सुविधाएं मिलती है और आप का शादी हुआ है या नहीं?
A…..सरकार की तरफ से सर ऐसे कुछ ज्यादा सुविधाएं नहीं मिलती है। बस राशन मिलता है, चावल और केरोसिन इतना मिलता है और दाल तो मिलता भी नहीं है। चावल 5 किलो पर हेड के हिसाब से हम को मिलता है और शादी अभी तक मैंने किया नहीं। सर मेरी दो बहने है तो उनका शादी पहले करवाना है। वह जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। इसीलिए मैं चेन्नई आया हूं। कुछ पैसे बचा कर ले कर जाऊंगा। उनका शादी करवा लूंगा। फिर से चेन्नई आकर अपनी खुद की शादी के लिए कुछ पैसे बचा लूंगा और जाकर ओड़िसा मे ही कोई काम करके वहा अपनी गाँव मे रहूँगा
Q…..आप कौन से समाज से हो और आपके एरिया में कौन से समाज के लोग ज्यादा रहते हैं और कौन सी समाज के लोगों के पास ज्यादा जमीन है। ज्यादा जायदा थे और आपका जो नेता मंत्री होते हैं वो आपको क्या सुबिधा उपलब्ध करते है
A……मैं आदिबासी परिबार से हु अपनी सेहर मे हर समाज के लोग रहते है, जायदा जमीन या पैसा तो ब्राम्हिन लोगों के पास होता है और यहां जो मंत्री हैं वह हरिजन समाज के है, और वह कभी गांव पर किसीका हालचाल पूछने नहीं आते । हम उनके पास भी कभी जाए जैसेकि सरपंच के पास जाएं कुछ काम केलिए तो वो लोग सुनते नहीं, कोई विधायक के पास तो हम जा ही नहीं पाते हैं क्योंकि उनसे मिलने सुजोग हमको नहीं मिलता है ।
Q….आपके गांव के पास स्कूल, कॉलेज, अस्पताल यह सब की सुविधाएं हैं।
A…..हां स्कूल है, अस्पताल है, लेकिन सुविधाएं ज्यादा नहीं मिलती है। अस्पताल में कभी कभी तो डॉक्टर भी नहीं होते है तो कभी दवाई नहीं होती है, और स्कूल की जो टीचर है, वह कभी 10:00 बजे आते हैं तो कभी 2:00 बजे आते हैं और बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनका बाकी काम होता है।
Q…..आप चेन्नई से वापस कब आना चाहेंगे ?
A…..मुझे तो यहां जेल में सजा काटने जैसा लग रहा है क्योंकि मुझे चेन्नई आने का कोई शौक नहीं था। मजबूरन मुझे रिस्क लेकर फिर से जेल में दोबारा आने जैसा लग रहा है क्योंकि मेरे परिवार की हालत इतनी अच्छी नहीं है कि हम घर बैठे खा कर सो सके। मेरी बहनों को शादी करवाने वाला हूं। मैं तो उनके लिए भी पैसों चाहिए और घर चलाने के लिए में ही एक लड़का हूं अपने घर में । मेरे बाबूजी बुड्ढे हो चुके हैं। वह गांव में आधा एकर जमीन है जिसमें वह खेती करते हैं और साल भर का राशन बस वहां से मिल जाता है और बाकी का जो भी खर्चा है वह मुझे उठाना पड़ता है। मुझे घर जाने का मन अभी भी है। मैं अभी भी उड़ीसा चला जाता। लेकिन मजबूरन मुझे यह जेल में रहना पड़ रहा है कि मुझे पैसे चाहिए और मैं जिस काम के लिए चेन्नई काम करने आया हूं, उसको पूरा करके जाऊंगा। अपनी बहन की शादी के लिए जो पैसा लेकर जाना है वो लेकर जाऊंगा। उससे पहले तो नहीं जाऊंगा