पारधी समाज की एक लड़की. उसकी शादी माँ-बाप ने दस साल की उम्र में कर दी थी. उसका पति लंगड़ा था. तब भी उस लड़की ने अपने माता पिता की ख़ुशी के खातिर उस लड़के के साथ अपनी पूरी जिन्दगी काटने को तैयार थी. उसकी उम्र 25 की है और उसके चार बच्चें है. वह पहले भी बिनती थी और अभी ही बिनती है ( इस जाति के लोग विमुक्त घुमंतू की श्रेणी में आते है जो भोपाल में पिछले ३०–४० वर्षो से रह रहे है इस जाति के लोग बीनने के साथ छला, अंगूठी माला भी बेचते हैं.)
उसका पति बहुत दारु पीता था और उसको भी पिलाता था. दारु पीने की वजह से उसके पति की मौत हो गई. वह सोचती थी कि उसका पति अच्छा हुआ मर गया क्योंकि उसका पति घर में ही रहता था ,और बच्चों को भी नही संभालता था. जब वह बिनके आती तो उसे ही घर का सारा काम करना पड़ता था और कभी वह उसके पति को पैसे नहीं देती थी तो उसका पति उसे बहुत मारता था. अलग –अलग कारणों से वह परेशान थी.
घर का सारा खर्च उसे ही उठाना पड़ता है. कभी कभी पुलिस भी परेशान करती है. अभी उसके पति के मारने के बाद उसके घर के, देवर देवरानी ,सास ससुर परेशान करते हैं. जब देवर उससे से गलत बोलता है तो वह उसका जवाब देती है तो उसका देवर उसे मारता है. फिर वह दारु पीकर घर वालों से लड़ाई करती है. जब वह बीनने चली जाती है तो उसके बच्चों को उसका देवर मारता है. इन सब से परेशान होकर उसने 2017 मार्च महीने में फांसी लगा चुकी थी मगर बस्ती के लोगों ने घर में घुसकर उसे बचा लिया.
बहुत सारी आर्थिक परेशानियों का सामना महिलओं को ही करना पड़ता है. जब ये परेशानियां उनके बस से बाहर हो जाती है तो खुद को मारना ही उन्हें सही फैसला लगता है. कौन जिम्मेदार है यदि आज वो मर जाती है तो ?