२८ दिसम्बर २०१५ को लेंडी बांध प्रभावित क्षेत्र के लोगो की पैदल यात्रा ५ दिन के बाद आजाद मैदान पहुंची. श्रीमती रजनी पांढरे (अध्यक्ष) और श्री जानू भोरे (उपाध्यक्ष) लेंडी बांध्ग्रस्त संघर्ष समिति की ओर से ग्रामीण वासियों के साथ मैदान में सरकार से बात करने आये.
नए निर्माण हुए पालघर जिले के जवाहर इस दुर्गम भाग में लेंडी नाम की एक छोटी सी नदी बहती है. इस नदी पर लगभग ८ साल पहले सरकार ने बिना ग्रामसभा या फिर गाँव वालो कि अनुमति लिए बिना बांध बनाने का काम चालू कर दिया. गांववालों को बिना बताये ठेकेदार ने काम शुरू कर दिया. कुछ बड़े लोगों को १ लाख रुपये हिसाब से पैसा मिला मगर बाकियों को जो कि पढना लिखना नहीं जानते थे, उनके जबरदस्ती हस्ताक्षर और अंगूठे लेकर उन्हें बस कुछ हज़ार थमा दिए गए.
जब ये लोग बांध प्रभावित का दस्तावेज लेने पहुचे तब जिलाधिकारी कार्यालय से उन्हें जवाब मिला कि उनकी ज़मीने सरकार ने अधिग्रहित ही नहीं की है तो आपको ये कागजात मिलेगा ही नहीं. इस समय जब बांध पूरा होने आ गया है और सरकारी लोग ये जवाब दे रहे हैं.
ठेकेदार को २८ करोड़ रुपये देने वाली सरकार इन लोगो को इनका हक का १ लाख रूपया वो भी खेती के हिसाब से देने को तैयार नहीं है. इन लोगो ने प्रथम पालघर जिलाधिकारी से संपर्क किया, फिर आदिवासी मिनिस्टर उनका सुनेगे ऐसा लगा तो उनसे जेक मिले , मगर दोनों जगह उनको खली हाथ ही लौटना पड़ा इसलिए अब वो मुख्यमंत्री जी को मिलने आये है.
उनकी प्रमुख मांगे कुछ इस प्रकार हैं :
१. ग्रामसभा को विश्वास में ना लेते हुए, जनसुनवाई न करते हुए नियम का उल्लंघन करने वाले अधिकारी पे क़ानूनी कार्यवाही कि जाये,
२. बेकायदा तरीके से दादागिरी करके अनुसूचित जाति के लोगो के जीने के साधन को छिनने के जुर्म में ठेकेदार के ऊपर गुन्हा दाखिल किया जाये,
३. आखिरी १० साल से हमारी ज़मीने पड़ी हुयी है उनका जितना आय हो सकती थी वोह और उसका ब्याज दिया जाये,
४. सब किसानों को एक ही भाव मिलना चाहिए , १ लाख रुपये के हिसाब से .