Sat. Nov 23rd, 2024

रुलाता है तेरा नज़ारा ऐ हिंदोस्ता मुझ को

हिंदुस्तान

शेख मोइन नईम

राजनीती विज्ञान विभाग, T.Y.B.A,  जलगाँव 

“सारे जहा से अच्छा हिंदोस्ता हमारा

हम बुलबुले है इसकी ये गुलसिता हमारा”

“मेरा भारत महान” ये नारा हम बचपन से सुनते आ रह है मगर अखबारों के आईने में भारत की जो तस्वीर उभर रही है,उसे देख कर खून के आंसू रोने को जी चाहता है |

ये कैसा भारत महान है यहाँ गरीबो को पेट भर रोटी नहीं मिलती | शिक्षा को आम करने का प्रचार तो बहुत है लेकिन पढ़े लिखे बेरोजगारों को रोज़गार नहीं मिलता | राशन पर भाषण है पर वहा पर अनाज के दर्शन नहीं है | महंगाई सातवे आसमान पर है | भ्रष्टाचार का जीन बोतल से बाहर है |

अगर बात यही तक होती तो हम सब्र कर लेते , मगर पंजाब, कश्मीर और नागालैंड में दहशतगर्द हमारा चैन व् सुकून गारत कर रह है | राजनेता नफरत की आग पर अपनी सियासत की खिचड़ी पका रह है | दलितों पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रह है | सारे भारत में फसादात के तूफान ने कोहराम मचा रखा है | क्या यह वही देश है जहा से ख्वाजा हसन संजरी और गौतम बुद्ध ने जग को एकता का सन्देश दिया था क्या यह वही देश है जो एकता का प्रतिक समझा जाता था

“कबीर व् नानक व् तुलसी पे आओ फख्र करे

मोइन व् खुसरो व् काकी पे आओ फख्र करे

ये मुल्क इकबाल व् ग़ालिब व् कालिदास का है

वकारे गौतम व् चिश्ती पे आओ फख्र करे”

मगर अफ़सोस हम हिन्दुस्तानी एकता की इस अमानत में खयानत कर बैठे | आज हम हिन्दुस्तानी मज़हब, पंथ और भाषा के नाम पर आपस में लड़ रह है | सारे देश में हैवानियत का नंगा नाच हो रहा है | खून की होली और आग की दिवाली मनाई जा रही है | इन फसादत से हर देशभक्त का दिल नाशाद है |

“दिल को नाशाद कर के छोड़ा है

काशी लुटी है काबा तोडा है

इन फसादत ने भारत की एकता का लहू निचोड़ा है”

ऐ मादरे वतन के जयाले सपूतो ! आप आपस में लड़ते रह तो महंगाई के खिलाफ कौन लडेगा ऐ पंचशील के अलम्बरदारो ! आप इस मशाल से एक दुसरे का घर जलाओंगे तो बेरोज़गारी के अंधेरो को कौन दूर करेगा ऐ भारत माता के बेटो ! हम अगर एक दुसरे का सर काटते रह तो मुक़द्दस माँ के आंचल की हिफाज़त कौन करेगा

“एक तरफ फिरका परस्ती अपना मुह खोले हुए

एक तरफ सूबा परस्ती है ज़हर घोले हुए

है ज़बान का मसला एक सिम्त पर तोले हुए

नौनिहालाने चमन भी है बज़न बोले हुए

गांधी व् नेहरु के ख्वाबो की ये क्या ताबीर है

एक नए हिंदुस्तान की क्या यही तस्वीर है”

आपसी रंजिश के क्या नुकसानात है इस से हम सब वाकिफ है | एकता के फायदे भी हमें पता है | किसान के सात बेटो की कहानी बच्चा- बच्चा जनता है | कतरों की एकता से समंदर बन जाता है | ज़र्रो की एकता से सहरा बन जाता है | मिटटी के रेजो की एकता से पहाड़ वजूद में आ जाते है | ये सब तो बेजान चीज़े है अगर हम हिन्दुस्तानी एक हो जाए तो हमारी बुलंदी से हिमालय की बुलंदी भी शरमाएगी |

इसलिए ऐ हिन्दुस्तानी शहरियों , आवाज़ दो हम एक है | आओ हम एक होकर भारत को रजा व् अम्बेडकर के ख्वाबो का बाग़ बनाए | मेरे सपनो का भारत किसी एक पंथ, धर्म या ज़ात के मानने वालो का मुल्क नहीं है | हमारा दिल ज़मीन के ऊपर भी हिंदुस्तान के लिए धड़कता है और ज़मीन के अन्दर भी हिंदुस्तान के लिए ही धड़केगा |

“रुलाता है तेरा नज़ारा ऐ हिंदोस्ता मुझ को

दर्दनाक है तेरा फ़साना सब फसानो में “

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *