Wed. Nov 27th, 2024

राजीव आवास योजना- संतोष थोराट

By द सभा Nov1,2015
देवनार डंपिंग ग्राउंड
Bookmark and Share
mandala
साल 2004 में, ४५ श्रम बस्तियों को मुंबई में तोडा गया था, जिसके उपरांत घर बचाओ घर बनाओ का नारा लगाते हुए एक आन्दोलन खड़ा हुआ. इस आन्दोलन का सीधा नेतृतव टाटा सामजिक विज्ञानं संसथान के सैम्प्रीत सिंह ने किया और राष्ट्रीय जन आंदोलोन के समन्वय की मेधा पाटकर ने इस की जड़ों को मजबूत किया. जब घर टूट रहा था तो मैं होम गार्ड था , और जब तक मेरा घर नहीं टूटा तब तक मुझे एहसास नहीं हुआ की इसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए.

पिछले १० वर्षों में हम कई बार दिल्ली गए , वहां शेहरी विकास मत्रियों से मिले, जैपाल रेड्डी, कुमारी सेल्जा अजय माकन , गिरिजा व्यास और अनेक नेता. हर बार हमारा नारा यही था
“हम जहाँ हैं वही बसाओ, उसके लिए कानून बनाओ”

साल २००९ में राष्ट्रपति प्रतिबा पाटिल ने सरकार की ओर से राजीव आवास योजना की घोषणा की जो की स्लम मुक्त भारत की बात करता है. बहुत सारे कार्यकर्ता अलग अलग राज्य से इसमें जुड़े हुए थे , जैसे राजेंद्र रवि , मधुरेश कुमार, गौतम दीन्बधू, शक्तिमान घोष , राजू भिषे, उल्का महाजन , सुरेखा दादरे, गीता , सिस्टर सिलिया और भी बहुत. कार्यकर्ताओं के साथ अनेक संस्थानों ने भी साथ दिया, जहाँ हम सड़क पे मजबूत थे, वहां शैक्षिक संस्थानों ने समुदाय से मिलकर इसके हरे एक बिन्दुओं पर चर्चा करके एक पालिसी दस्तावेज तैयार किया.

जीने का अधिकार में घर का अधिकार भी तो जुड़ा हुआ है, उसके बिना कोई कैसे रह सकता है.

इन सभी चर्चों और पप्रक्रियाओं के बीच बुलडोज़र चलते रहे, बस्तियां एकजूट हुईं, कहीं लाठी खाई, कहीं मीटिंग में चाय पी. श्रम बस्तियों में अधिकतर लोग देहाड़ी का काम करते हैं, वो इन सब को छोड़, महिलाएं बच्चे, बूढ़े, सब सड़क पर , घर के अधिकार के लिए आए. मेधा ताईने खर गोलीबार में १३ दिन का घर तोडने के खिलाफ अंशान किया. हमने २०१३ में , १४ में भी जनवरी की शुरुवात में पूरे मुंबई में रैली निकाली. हजारों लोग सड़क पे थे , फिर भी मीडिया ने बहुत कम ही साथ दिया. सरकार का आश्वासन मिला, उसके बाद फिर बुलडोज़र चला.

लगातार प्रेशर सरकार और महानगर पालिका को देने के बाद वो कम से कम श्रम बस्तियों में मूल सुविधाएँ उपलब्ध करने को राजी हो गए. और जब आन्दोलनकारी भी चुनाव लडने लगें, तब राष्ट्रीय पार्टी भी थोडा ज्यादा सुनने लगी. उन्हें सत्ता छुटने का डर लगने लगा. ख़ैर कोई भी पार्टी जीतें गरीबों को घर , पानी और मूलभूत सुविधाएँ तो मिले. धीरे धीरे बदल रहा है राजनैतिक माहौल, राजनेताओं के भी तेवर बदल रहे हैं.

राजीव आवास योजना (रे) का मकसद घर तथा जमीन का मालिकाना हक दोनों श्रम बस्तियों को देने का है. केंद्र के द्वारा ५०% , राज्य सरकार २५% महानगर पालिका १५% और रहना वाला १०% इस पूरे खर्चे में लगाएगा.

महाराष्ट्र में ये मुंबई के ४५ बस्तियों में लागू किया जायेगा. हमने इससे मानखुर्द, के मंडला इलाके में पहले लागू करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन कुछ कारणों से ये अभी साथै नगर में पहले होगा. इस योजना की अच्छी बात ये है की लोकल समुदाय से राय मशवरा करके हे इसके हरेक कदम उठाये जायेंगे. इसमें सरकार और समुदाय का सीधा सम्बन्ध होगा.

अन्नाभाव साथै नगर में इसका सर्वे शुरू हो चूका है. लोकल कॉर्पोरटर विथल लोकदे जी ने कोल्कता की एक कंपनी को सर्वे करने का टेंडर निकालने के बाद जिम्मा सौपा है.
अन्न्भव साथै विकास संघ जो मानखुर्द में एक संस्था हैं, वो इस सर्वे में इनकी मदद कर रहा है.
सर्वे तीन महीनों का है, किसके बाद ये राज्य सरकार और फिर केंद्र के पास जायेगा.
चुनाव के पहले मार्च २०१४ में बाजपा के नेता वेंकैया नाडू ने आश्वासन दिया था कि हमारी सरकार इसे लागू करेगी. अभी जब केंद्र और राज्य में बाजपा की सरकार है, तो ये काम में देर नहीं लगनी चहिये. हम देखेंगे.
(संतोष थोराट)

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *