बाबा साहब आज के समय की जरूरत है । ऐसे में कोई भी सत्ता हर संभव बाबा साहब को किसी न किसी तरह याद करती दिख ही जाती है । अप्रैल महीने मे होने वाले बाबा साहब के जन्मदिन को लेकर ख़ासी तैयारियां भी सरकार द्वारा की जाती है । उच्च स्तरीय कार्यालयों में बाबा साहब के पोस्टर को आसानी से देखा जा सकता है।
लेकिन बड़ा प्रश्न यहाँ यह उभर कर आता है कि यही सत्ता जब बाबा साहब के लिए इतने सरकारी खजाने से इतने कार्यक्रम करती है तो इनसे जुड़े छात्र संगठनो द्वारा बाबा साहब का अपमान अक्सर क्यो देखने सुनने को मिलता है ? ताजा मामले को ही अगर देखे तो लखनऊ स्थित बाबा साहब भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय के एबीवीपी के छात्रों द्वारा अशोक छात्रावास में लगे बाबा साहब को पोस्टर फाड़ा गया और जब इसका विरोध दलित छात्रों द्वारा किया गया तो विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुशंसा से इन छात्रों कानूनी कार्यवाही कर दी गयी । प्राक्टर और पुलिस द्वारा दिये आदेश के अनुसार, अपर निगम मजिस्ट्रेट (तृतीय) लखनऊ ने धारा-111 के अंतर्गत निर्देश जारी किए हैं कि विवि के 5 छात्रों से शांतिभंग का खतरा है। अत: एक साल तक परिशांति बनाए रखने के लिए इनके द्वारा 2 लाख रुपये या इतनी ही राशि की परिसंपत्ति न्यायालय में जमा कराई जाए।
न्यायालय ने 2 लाख रुपये या इतनी ही राशि की प्रतिभूतियां जमा कराने के लिए 9 जून तक का समय दिया है।
जिन छात्रों के नाम मुकदमा है वो सभी दलित छात्र है….
वसंत कनौजिया
जयवीर सिंह
आजाद
अश्वनी कुमार
श्रेयात बौद्ध’
आपको यह भी बता दें कि ये सभी छात्र समय समय पर बहुजन विचारधारा को तोड़ने वाली शक्तियों से लड़ते आए है और अपना विरोध दर्ज कराते रहें है। इसी कारण विश्वविद्यालय की आँखों में ये दलित छात्र खटकते है …
बक़ौल श्रेयात, यह मुकदमा हम सभी छात्रों को डराने की एक साजिश है,जिससे हम सभी अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी से मुह मोड लें । लेकिन हम सभी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन हमेशा करते रहेंगे । मनुवादि प्रशासन की मंशा कभी पूरी नहीं होने देंगे । बहुजन आंदोलन 21वीं सदी कि जरूरत है इसे हम सभी को मिल कर खड़ा करना चाहिए । जय भीम जय जोहार ।