उत्तराखंड में गंगा के मायके अलकनंदा घाटी से विष्णुगाड पीपलकोटी बाँध प्रभावितों ने अंतर्राष्ट्रीय जगत को ये संदेश दिया है कि नदियों के जीवन से हमारा जीवन है । टीo एचo डीo सीo और विश्व बैंक का गठजोड़ पूरी तरह से गंगा घाटी के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में असफल रहा है, अब अन्य देशों में जैसे भूटान में भी टीo एचo डीo सीo जाने की कोशिश कर रही है । विश्व बैंक स्वच्छ उर्जा के नाम पर अन्य देशों में भी बड़े बांधों के लिए पैसा उधार दे रहा है उन सब को अपील करते हैं कि वे भी इनका पुरजोर विरोध करें ।
लगभग 20 से ज्यादा बांध प्रभावित गाँवों के लोगों ने एकमत में उत्तराखंड की संस्कृति की रक्षा के लिए बड़े बांधों का विरोध किया, सभी वक्ताओं ने कहा – “सलूढ़ गाँव, भरत सिंह – अब आवाज नहीं दब सकती, जल जंगल जमीन की कीमत पर उर्जा प्रदेश नहीं चाहिए । जखोला गाँव, मनवर सिंह व मातवर सिंह – बांधों से जलवायु परिवर्तन हो रहा है । लांजी गाँव, दिनेश राणा – गंगा में बांधों से प्रदूषण हो रहा है । पोखनी गाँव, जगदीश भंडारी – सरकार व टीo एचo डीo सीo ने हमे धोखा दिया है । पोखनी गाँव, बाल सिंह – भविष्य की बर्बादी हमसे छुपायी गई है । ह्युना गाँव, राकेश भंडारी – जब नदी ही नहीं होगी तो गंगा संस्कृति कहाँ होगी । दुर्गापुर गाँव, रामलाल – हम पर 23 मुक़दमे है मगर हम लड़ेंगे । द्विंग गाँव, उमा देवी – हम बाँध विरोधी हैं और रहेंगे, गंगा अविरल रहेगी । नरेन्द्र सिंह (मo) – बांधों से भूस्खलन बढ़े हैं । पीपलकोटी, वृहन्श्राज तडयाल – पहाड़ की जवानी व पानी बांधों से लुप्त हो रही है । पोखरी गाँव, धनेश्वरी देवी – हम पर्यावरण की शर्त पर कोई समझौता नहीं करेंगे । राजेंद्र हतवाल (हात) – हात का पुनर्वास धोखा रहा है हमने गाँव नहीं छोड़ा है, कम्पनी, राजनेता और शासन से भी धोखा ही मिला है, पुरातत्व विभाग ने ना ही बेलपत्री के जंगल और ना ही लक्ष्मी नारायण मंदिर का सर्वे किया । माटू जन संगठन के समन्वयक विमल भाई – संगठन से ही समस्या का निदान होगा, बड़े बांधों ने आजतक विस्थापन व पर्यावरणीय क्षति ही दी है, जिससे देश में व गंगा घाटी में साड़े पांच हज़ार बांधों के बाद भी दोहराया जा रहा है । आज इस टीo एचo डीo सीo व विश्व बैंक के गठजोड़ से बन रहे बाँध से लगभग 80 लोगों पर मुक़दमे हैं, तानाशाही और आतंक के साये में इस बाँध को आगे बढाया जा रहा है, किंतु हम न्याय के लिए, जन हकूकों व गंगा के लिए जमीन से लेकर कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हैं । हमारा गांधी के मूल्यों व आदर्शों में विश्वास है, हम अहिंसक संघर्ष जारी रखेंगे ।“
कल सुबह कार्यक्रम का आरम्भ ढोल नगाड़ा व तुरही के साथ गाँव वालों ने गाँव से लायी मिटटी को गंगा कलश में इकठ्ठा किया, जिसे कार्यक्रम के बाद संघर्ष व रचना के प्रतीक रूप में रोपे गए पीपल के पेड़ के लिए डाला गया । कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र पोखरियाल द्वारा किया गया, जो कि दस वर्ष से अधिक समय से इस बाँध के खिलाफ संघर्षरत हैं ।
“गंगा चलेगी अपनी चाल, ऊँचा रहेगा उसका भाल“, “देख रहा है आज हिमालय गंगा के रखवालों को“, इन नारों के साथ भविष्य की संघर्ष की घोषणा के साथ मोर्चा निकला गया ।
नरेन्द्र पोखरियाल, अजय भंडारी, राम लाल, विमल भाई