‘भटके विमुक्त जनजातियों’ के अच्छे दिन कब आयेंगे ?

सन् १९०० में ब्रिटिशों ने हिनुस्तान में छोटी-बड़ी संस्थानों (राज्य) को हटाकर अपनी हुकूमत कायम की. उस दौरान किसान, आदिवासी, भटके विमुक्त जनजाति और पिछड़े वर्गों को बड़े पैमाने पर सताया गया. उसके परिणाम सवरूप अंग्रेजों के खिलाफ १८५७ के उठाव में बिरसा मुंडा, तांत्या भील और उमाजी नायक के नेतृतव में विद्रोह उमड़ा. लेकिन अंग्रेजों के द्वारा इन आवाजों को दबाया गया.

देश vs भक्त

विशाल भरद्वाज  आज कल टी.वी पे आप लोग काफी सारे डिबेट देख रहे होंगे, काफी सारे डिबेट्स में स्टूडेंट से संबंधित विषयों पे चर्चा किया […]

क्रांतिगुरू लहुजी सालवे- मातंग समाज

संतोष थोराट भारत के प्रथम, क्रांतिगुरू लहुजी सालवे जन्म: १४ नवंबर १७९४ निर्वाण: १७ फरवरी १८८१ थोर समाजसुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले इनके गुरू, क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले इनके […]

देवनार डंपिंग ग्राउंड की आग

हारून शैख़  यहाँ पे प्रदुषण और गन्दी हवा से तकलीफ कई किस्म की है, लेकिन आदमी बोलता है न की इतना वक़्त है इंसान के […]

विकास की जुमलेबाजी के बीच राम मंदिर का राग

जयन्त जिज्ञासु आज मुल्क जिस स्थिति से गुज़र रहा है, वहाँ क्षणिक सियासी फायदे के लिए इंसानियत को दाँव पर लगाने वाले सियासतदाँ सबसे बड़े […]

इब्तेदा : रविश कुमार टाटा सामाजिक विज्ञानं संस्थान में मीडिया और सरकार पर बुल्बुलाते हुए

खुली हुई खिड़कियाँ  है बस दिमाग बंद है आँखें भभक रही है और जुबां लहेक रही है एक टीवी है और शोर भरी शांति है […]

रोहित वेमुला की हत्या : शिक्षण संस्थाओं में लोकतांत्रिक समतामूलक माहौल का आभाव

जैनबहादुर आज के इस आधुनिक लोकतांत्रिक सभ्य समाज में रहते हुए हमारे सामने कभी कभी ऐसी घटनाएँ घट जाती है या फिर घटा दी जाती […]

रोहित के लिए एक हो रहा हिंदुस्तान !

दि.२७/०१/२०१६ को ‘जस्टिस फॉर रोहित वेमूला- जॉइंट एक्शन कमिटी’ और ‘इंडियन मुस्लिम इंटेलेक्चुअल फोरम’ द्वारा एक पत्र्कार सभा का मराठी पत्र्कार भवन में आयोजन किया गया.

धारावी में राष्ट्र स्वयं सेवक संघ की गुंडागर्दी : मारने के बाद दिया नारा ‘बाबा साहेब अम्बेडकर की जय, जय श्री राम’ का

मुंबई २४.०१.२०१६ : आज शाम सात बजे के आस पास रोहित वेमुला के संस्थानिक हत्या के विरोध में जा रही रैली पर राष्ट्र सवयम सेवक […]

है तमाशा ये क्या ! १ अगस्त : अण्णाभाऊ साठे जयंती

जहाँ आज की मीडिया प्रजातान्त्रिक हुकूमत के सामने रेंगती हुई पाई जाती है, जो किसी के शमशान की यात्रा को या तो अनेक रंगों से […]

मंडाला के हज़ारो बेघरो का आवास सत्याग्रह क्यों?

मुंबई के 75,000 ग़रीबो के घर तोड़े गए थे, 2004-05 में, वह स्थिति आज भी आँखो के सामने है | चूल्हे क्या, बच्चे भी रस्ते पर आ गए थे और, कहां बढ़े, कहां बीमार, इंसान कुत्तो जैसे गंदे नालो के किनारे लेटे मिलते थे |

चूने वाला प्रजातंत्र

हमारे भारत की आर्थिक निति बहुत हद तक एक इफ़ेक्ट का अनुसरण करती है जिसका नाम है चूने वाला इफ़ेक्ट. इसके हिसाब से दुनिया के अनेक प्रजातंत्र चल रहे हैं , जिनको भारत भी कई मायनो में मानने लगा है.

भारत के आर्थिक और राजनैतिक विशेषज्ञ ‘प्रोंजोय गुहा ठाकुरता्’ सिरिजा की जीत पर

ग्रीस में सीरिजा पार्टी, अतिवादी वामदल, की अपेक्षित जीत ने पहले से ही पूरे वित्तीय बाजारों में संकेत भेज दिए थे। सीरिजा की इस जीत […]

इट्स अ मैन’स वर्ल्ड (ये संसार पुरुष-निर्मित और केन्द्रित है)

अमरीकी गायक और संगीतग्य जेम्स ब्राउन का 1966 में गाया गया प्रसिद्ध गाना “इट्स अ मैन’स वर्ल्ड” (ये संसार पुरुष-निर्मित और केन्द्रित है) आज भी अपनी प्रासंगिकता बरक़रार रखता है. कारण, चाहे भारत हो या पश्चिमी देश, या दुनिया का कोई भी कोना—ये दुनिया और समाज पुरुष केन्द्रित ही है!

सरकार हमसे डरती है, ट्विटर और फेसबुक को आगे करती है

  जन आंदोलनों का नारा सरकार हम से डरती है पुलिस को आगे करती है, शायद कुछ दिनों में बदल जाए. आजकल सरकार के प्रतिनिधि […]