हम उस बिहार की चर्चा कर रहे है जहां से भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा थमी थी। वही लालू जिन्होने आडवाणी को गिरफ्तार कर रथ यात्रा को थाम लिया था । अगर यह नहीं होता आज के समय की भारत की कहानी कुछ और कहती । लालू की…
बदलने लगे है विज्ञापन फिल्मों के नारी चरित्र
परिवर्तन प्रकृति का नियम है । यह परिवर्तन हमें साहित्य, सिनेमा,कविता,नाटक, मीडिया आदि विधाओं में धीरे धीरे ही सही पर मिल रहा है । टेलीविजन की पहुँच आज सूदूर तक हो गयी हैं । जाहीर है केबिल ने भी उन तक दस्तक दे ही दी है। किसी ट्रेन में बैठे…
ट्यूब लाइट और इंडो चाइना विवाद पर एक नज़र
नवंबर 1962 का वो महीना जब असम और आसपास के लोग डरे सहमे हुए थे कि न जाने किस समय चीनी उनके इलाक़े मे अपना कब्जा कर लें । यहाँ तक कि आसाम के राष्ट्रीय बैंकों के मैनेजरों आधी रात को बैंक से करेंसी निकाल कर मात्र इसलिए जला दी…
#NotInMyName अररिया, बिहार: मेरे नाम से नहीं, नहीं मुझे कोई हत्या स्वीकार्य नहीं
अररिया , ७ जुलाई, २०१७: अररिया के नागरिकों द्वारा मौन जुलुस और जनसभा का आयोजन किया गया, अम्बेडकर मूर्ति, अररिया बस स्टैंड से चांदनी चौक तक.
बाबा साहब का पोस्टर फाड़ने को लेकर हुए विवाद में दलित छात्रों पर हुई कानूनी कार्यवाही।
बाबा साहब आज के समय की जरूरत है । ऐसे में कोई भी सत्ता हर संभव बाबा साहब को किसी न किसी तरह याद करती दिख ही जाती है । अप्रैल महीने मे होने वाले बाबा साहब के जन्मदिन को लेकर ख़ासी तैयारियां भी सरकार द्वारा की जाती है ।…
सहारनपुर दंगे के विरोध में लखनऊ में किया प्रोटेस्ट, हुई गिरफ्तारी
31 मई को लखनऊ के जीपीओ से विधान सभा तक हुए मार्च के दौरान देश के तमाम विश्वविद्यालयों व अन्य सामाजिक संगठनों के लोगों को पुलिस ने जीपीओ से ही गिरफ्तार कर लिया। प्रोटेस्ट कर रहे संगठन जाइंट एक्शन कमेटी में बीबीएयू से श्रेयात बौद्ध, संदीप शास्त्री,अमन झा,अश्विनी रंजन, अनुराग…
शिक्षा के स्तर में सुधार की अच्छी पहल ….
Dailyhunt से साभार … सच्चे इवेंट पर आधारित होने का दावा करने वाली इरफान खान स्टारर फिल्म हिन्दी मीडियम का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ है। हाई फाई स्कूल में पढ़ेगा इंडिया, तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया की पंच लाइन देते हुए निर्देशक ने फिल्म को आज के परिदृश्य…
पारधी समाज की औरत के साथ अन्याय
पारधी समाज की एक लड़की. उसकी शादी माँ-बाप ने दस साल की उम्र में कर दी थी. उसका पति लंगड़ा था. तब भी उस लड़की ने अपने माता पिता की ख़ुशी के खातिर उस लड़के के साथ अपनी पूरी जिन्दगी काटने को तैयार थी. उसकी उम्र 25 की है और उसके चार बच्चें है. वह…
नूर जैसी फिल्में हमारे इतिहास का बोझ बढ़ा रही है …
सुनहिल सिप्पी निर्देशित नूर बड़े पर्दे रिलीज हुई तो लगा पत्रकारिता के किसी अनछुए पहलू से हमारा परिचय होगा ? एक बार को लगा कि कोई ऐसी कहानी दर्शकों के बीच आएगी जो बड़े मीडिया घरों की रोज की बात है जिससे हम सभी अनभिज्ञ हैं। लेकिन यहाँ मामला उलट…
चढ़ता पारा और कर्ज में डूबता किसान
आज हर कोई अपने आप मे एक स्वतंत्र पत्रकार है। हर किसी का राजनीति से लगाव भी आम हो चला हैं । होना भी चाहिए। आखिर हम रोटी भी राजनीति की ही खाते है। बीते दिनों देश के पाँच राज्यों में चुनाव हुए,नतीजे आए और नई सरकारें बनी। जिसमें…
यूजीसी का पुतला फूंका, निकाला प्रतिरोध मार्च
Ugc के 06 मई 2016 के notification को सभी विश्वविद्यालयों में लागू हो जाने के विरोध में आज महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के छात्रों ने विरोध प्रदर्शित करते हुए साहित्य भवन से प्रशासनिक भवन तक प्रतिरोध मार्च निकाला । ugc notification की माने तो शिक्षक और शोधार्थियों का…
रायबरेली में किसान, कर्ज और उम्मीद
बैसवारा क्षेत्र के रायबरेली और आसपास के इलाकों में ज़मीन की माप के हिसाब से इस क्षेत्र में सीमांत किसानों की संख्या अच्छी-खासी है। सीमांत किसान वो हैं जिनके पास 2.5 एकड़ भूमि या 1 हेक्टेयर से कम है। उनमे से कुछ गांव में रहकर खेती करते हैं और कुछ…
युवाओं का नाट्य समूह करेगा समाज में फैली अराजकता का पर्दा फ़ाश …
नाट्य प्रयोग : ‘WARNING’ (वॅर्निंग) नाट्य की भाषा : हिंदी विषय : भारतीय समाज मे हो रहे अन्याय के खिलाफ हमारा अगला क़दम । विवरण : युवा ग्रूप, वर्धा प्रस्तूत कर रहा है एक अनोखा नाट्य प्रयोग जिसका नाम है वार्निंग- अगर अब भी नहीं जागे तो बहूत देर हो…
लैंगिक हिंसा, बैरागड़ भोपाल: मीडिया और पुलिस की लीपापोती
मधु धुर्वे लैंगिक हिंसा हाल ही में हमारे भोपाल शहर में बच्चों के साथ यौन शोषण जैसी दो गंभीर घटना घटी है. बैरागड़ शासकीय शाला के आवासीय कार्यक्रम में 6 से 11 वर्ष के छोटे लड़के थे. 24 से ज़्यादा ड्राप आउट हुए बच्चों ने अपने परिजनों से बताया की…
ओबीसी, आरक्षण और वर्तमान शैक्षणिक स्थिति
मनीष जैसल हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा में मीडिया / फिल्म विषय पर पी-एच.डी कर रहें हैं अपनी बात शुरू करने से पहले गोरख पांडे को उनकी इस कविता की पंक्तियों के साथ याद करना आवश्यक हो जाता है जिनमे वो कहते है कि… वो डरते है किस बात से डरते…
युवास्था और उत्तर प्रदेश के युवा
युवास्था जीवन का एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है. यह समय बचपन और समझदारी के बीच का ब्रिज होता है. पढाई पूरी होने के बाद नौकरी मिलने या न मिलने के मध्य यह समय युवा अलग-अलग तरीको से बिताते हैं. समय की प्रचुरता को अपनी समझ, सोच और संपर्क के…
एक यूरोपियन महिला का भारत में सफ़र
फ्रंचेस्का बेनेल्ली, एक इटालियन पर्यटक भारत में कई अच्छे लोग हैं जिन पर भरोसा कर दोस्ती की जा सकती लेकिन जो गले पड़ने लग जाए उनसे परहेज़ करने में हे समझदारी है. मेरी अन्दर की महिला पर्यटक को इस अतुल्य देश के शोर गुल , खूबसूरती और भीने इन्सानीयत भरे…
दक्षिण अफ्रीका की महिला ट्रक चालक
सड़क परिवहन भारत की ही भांति दक्षिण अफ़्रीकी राष्ट्रों में भी आर्थिक व्यवस्था की एक महत्त्वपूर्ण इकाई है. इस क्षेत्र के सबसे बड़े (और सर्वाधिक संपन्न) राष्ट्र होने के कारण दक्षिण अफ्रीका ही व्यापार व आर्थिक व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है. ऐसे में कुशल ट्रक ड्राईवरों का अभाव अफ़्रीकी अर्थव्यवस्था…
रुलाता है तेरा नज़ारा ऐ हिंदोस्ता मुझ को
शेख मोइन नईम राजनीती विज्ञान विभाग, T.Y.B.A, जलगाँव “सारे जहा से अच्छा हिंदोस्ता हमारा हम बुलबुले है इसकी ये गुलसिता हमारा” “मेरा भारत महान” ये नारा हम बचपन से सुनते आ रह है मगर अखबारों के आईने में भारत की जो तस्वीर उभर रही है,उसे देख कर खून के आंसू रोने…
नर्मदा किनारे से प्रधनमंत्री को पत्र
श्री नरेंद्र मोदीजी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली नमस्ते आज मध्यप्रदेश के अखबार में यह खबर छपी है कि सरदार सरोवर बांध के 17 मी. ऊँचे गेट्स लगाने के मामले में आपके दिल्ली स्थित कार्यालय में अंतर राज्यीय बैठक आयोजित की गई। खबर में यह भी कहा…
लातूर में पानी पर धारा – १४४
धारा १४४ का इस्तेमाल पहली बार भारत में अंग्रेजो द्वारा १८६१ में किया गया था, जो कि आज़ाद भारत में १९७३ को कानूनी रूप में ढला. इसका उस समय भी इस्तेमाल आज़ादी की मांग को लेकर संगठित होने वाले लोगों के खिलाफ किया जाता था, ताकि अंग्रेजी हुकूमत बरक़रार रहे.
बांद्रा कलेक्टर ऑफिस मुंबई : मातंग समाज का प्रदर्शन
२८ दिसम्बर ,२०१५ को मातंग समाज ने बांद्रा कलेक्टर ऑफिस के सामने शांतिपूर्वक धरना दिया और अपनी मांगे रखीं.
बाँध नहीं विकास चाहिए, नदी दिवस का यही आगाज़
उत्तराखंड में गंगा के मायके अलकनंदा घाटी से विष्णुगाड पीपलकोटी बाँध प्रभावितों ने अंतर्राष्ट्रीय जगत को ये संदेश दिया है कि नदियों के जीवन से हमारा जीवन है । टीo एचo डीo सीo और विश्व बैंक का गठजोड़ पूरी तरह से गंगा घाटी के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा…
‘भटके विमुक्त जनजातियों’ के अच्छे दिन कब आयेंगे ?
सन् १९०० में ब्रिटिशों ने हिनुस्तान में छोटी-बड़ी संस्थानों (राज्य) को हटाकर अपनी हुकूमत कायम की. उस दौरान किसान, आदिवासी, भटके विमुक्त जनजाति और पिछड़े वर्गों को बड़े पैमाने पर सताया गया. उसके परिणाम सवरूप अंग्रेजों के खिलाफ १८५७ के उठाव में बिरसा मुंडा, तांत्या भील और उमाजी नायक के नेतृतव में विद्रोह उमड़ा. लेकिन अंग्रेजों के द्वारा इन आवाजों को दबाया गया.
देश vs भक्त
विशाल भरद्वाज आज कल टी.वी पे आप लोग काफी सारे डिबेट देख रहे होंगे, काफी सारे डिबेट्स में स्टूडेंट से संबंधित विषयों पे चर्चा किया जा रहा है. इन में से अधिकतर न्यूज़ चैनल के एंकरों ने स्टूडेंट मूवमेंट को देश हित में न होने का दावा करते हुए उन्हें राष्ट्र…
क्रांतिगुरू लहुजी सालवे- मातंग समाज
संतोष थोराट भारत के प्रथम, क्रांतिगुरू लहुजी सालवे जन्म: १४ नवंबर १७९४ निर्वाण: १७ फरवरी १८८१ थोर समाजसुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले इनके गुरू, क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले इनके अंगरक्षक, महात्मा ज्योतिबा फुले- क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले इन्होने देश में लडकियो के लिए, दलित, आदिवासी, ओबीसी,मुस्लिम समाज के लिए सर्वप्रथम स्कुल सुरू करके शिक्षा देने का…
देवनार डंपिंग ग्राउंड की आग
हारून शैख़ यहाँ पे प्रदुषण और गन्दी हवा से तकलीफ कई किस्म की है, लेकिन आदमी बोलता है न की इतना वक़्त है इंसान के पास की सीना खुख्राए. खांसी हो रही है. कहीं चला जाये. किसी आदमी को नोर्मली खांसी भी होती है तो वो बड़े से बड़े डॉक्टर के…
विकास की जुमलेबाजी के बीच राम मंदिर का राग
जयन्त जिज्ञासु आज मुल्क जिस स्थिति से गुज़र रहा है, वहाँ क्षणिक सियासी फायदे के लिए इंसानियत को दाँव पर लगाने वाले सियासतदाँ सबसे बड़े देशद्रोही हैं।लोकतंत्र में चुनावी तंत्र की कमज़ोरियों का लाभ उठाकर सत्तासीन होने वाले लोग जब ये भूल जाते हैं कि जम्हूरियत जुमलेबाजी से नहीं चला…
इब्तेदा : रविश कुमार टाटा सामाजिक विज्ञानं संस्थान में मीडिया और सरकार पर बुल्बुलाते हुए
खुली हुई खिड़कियाँ है बस दिमाग बंद है आँखें भभक रही है और जुबां लहेक रही है एक टीवी है और शोर भरी शांति है वो जो सब के बीच बैठा है, तूफ़ान पैदा करता है सवालों से नावों को हिला दुला देता है ३दी होती हमारी कल्पनाओं में रोमांच…
रोहित वेमुला की हत्या : शिक्षण संस्थाओं में लोकतांत्रिक समतामूलक माहौल का आभाव
जैनबहादुर आज के इस आधुनिक लोकतांत्रिक सभ्य समाज में रहते हुए हमारे सामने कभी कभी ऐसी घटनाएँ घट जाती है या फिर घटा दी जाती है जो हमे यह सोचने को मजबूर कर देती है कि क्या हम एक सभ्य लोकतांत्रिक समाज में ही रहते है? ऐसी घटना जिसका परिणाम…
मूतने का चस्का
मनीष बरोनिया पसीने से तेल बना के, चमड़ी की बाती कर ली, और जला के खुद को हमने जिंदगी बसर कर ली….. किवाड़े, खिड़कियाँ, और दीवारे नहीं है, सब खुला पड़ा है, कोई चौकीदारें नहीं है… यूँ बेखबर से, कुछ ढूँढने मत आया करो, मेरा परिवार सोता है, इस फूटपाथ…
हरिशंकर परसाई : खुशी है कि ‘कोटे’ से कुछ ज्यादा ही हरिजन मारे गए- गाँधी या गोडसे
यह चिट्ठी महात्मा मोहनदास करमचंद गाँधी को पहुंचे. महात्माजी, मैं न संसद-सदस्य हूँ, न विधायक, न मंत्री, न नेता. इनमें से कोई कलंक मेरे ऊपर नहीं है. मुझमें कोई ऐसा राजनीतिक ऐब नहीं है कि आपकी जय बोलूं. मुझे कोई भी पद नहीं चाहिये कि राजघाट जाऊँ. मैंने आपकी समाधि…
रोहित के लिए एक हो रहा हिंदुस्तान !
दि.२७/०१/२०१६ को ‘जस्टिस फॉर रोहित वेमूला- जॉइंट एक्शन कमिटी’ और ‘इंडियन मुस्लिम इंटेलेक्चुअल फोरम’ द्वारा एक पत्र्कार सभा का मराठी पत्र्कार भवन में आयोजन किया गया.
धारावी में राष्ट्र स्वयं सेवक संघ की गुंडागर्दी : मारने के बाद दिया नारा ‘बाबा साहेब अम्बेडकर की जय, जय श्री राम’ का
मुंबई २४.०१.२०१६ : आज शाम सात बजे के आस पास रोहित वेमुला के संस्थानिक हत्या के विरोध में जा रही रैली पर राष्ट्र सवयम सेवक के कार्यकर्ताओं ने मारा पीटी की. करीबन ५०० लोग , जिसमें अनेक विध्यार्थी भी थे, पर पत्थर फेके गए, लाठी से मारा गया, लोहे की…
मालदा हिंसा : एक अपराधिक घटना राज्य के खिलाफ
मालदा की हिंसा, हिंदुओं के खिलाफ नहीं थी। वह केवल पैगम्बर साहब के खिलाफ दिए गए एक वक्तव्य का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुई भीड़ का नियंत्रण से बाहर हो जाना था।
संदूक यादें, लम्हें और आशाओं की – फ्रीडम थिएटर फिलिस्तीन !
५ जनवरी २०१६ को मुंबई विद्यापीठ द्वारा भारत फिलिस्तीन सांस्कृतिक कर्यक्रम का आयोजन किया गया.इस कार्यक्रम में जन नाट्य मंच(नयीदिल्ली) और फ्रीडम थिएटर फिलिस्तीन द्वारा एक नाटक प्रस्तुत किया गया.
गरीबों के त्यौहार और नया साल
त्यौहार , बड़ा ही जोशीला और उमंग भरा है ये शब्द । कहते और लिखते ही मन में खुशियों के भाव आने लगते है । पर किसके आपके या मेरे ?
है तमाशा ये क्या ! १ अगस्त : अण्णाभाऊ साठे जयंती
जहाँ आज की मीडिया प्रजातान्त्रिक हुकूमत के सामने रेंगती हुई पाई जाती है, जो किसी के शमशान की यात्रा को या तो अनेक रंगों से सबोरती है या अपना कैमरों में ही कफ़न लगा देती है, वो समय जहाँ सरकार कलाकारों से लेकर हर वो स्वतंत्रता के मंजर पर प्रतिबन्ध लगाने…
संघर्ष के ४० साल : पहुँच गए आजाद मैदान मुंबई
महाराष्ट्र के अमरावती शहर में कुछ बड़े इलाको में से एक है बिछु टेकडी. इसमें एकता नगर, तट्टा कॉलोनी, जेल क्वार्टर, सागर नगर, वित्ताभाती परिसर, आंबेडकर पुतला परिसर, नजूल आदि भाग आता है. पिछले ४० सालों से यहाँ के लोग अपने मुलभुत मांगो और हक के लिए लड़ रहे है.
लेंडी बांध प्रभावित ५ दिन चलकर पहुंचे आजाद मैदान
२८ दिसम्बर २०१५ को लेंडी बांध प्रभावित क्षेत्र के लोगो की पैदल यात्रा ५ दिन के बाद आजाद मैदान पहुंची. श्रीमती रजनी पांढरे (अध्यक्ष) और श्री जानू भोरे (उपाध्यक्ष) लेंडी बांध्ग्रस्त संघर्ष समिति की ओर से ग्रामीण वासियों के साथ मैदान में सरकार से बात करने आये. नए निर्माण हुए…
मंडाला के हज़ारो बेघरो का आवास सत्याग्रह क्यों?
मुंबई के 75,000 ग़रीबो के घर तोड़े गए थे, 2004-05 में, वह स्थिति आज भी आँखो के सामने है | चूल्हे क्या, बच्चे भी रस्ते पर आ गए थे और, कहां बढ़े, कहां बीमार, इंसान कुत्तो जैसे गंदे नालो के किनारे लेटे मिलते थे |
मोदी / ओबामा = नमो / गूंतानामो
भारत और अमेरिका का प्रजातंत्र कुछ मायनो में मिलता है, जिनमें एक तो यही है कि अपने आँगन की आजादी को कुचल के, उसे देश की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की सुरक्षा का नाम देना. नजरबन्द में मणिपुर की इरोम शर्मीला, अमेरिका की जेल गूंतानामो खाड़ी और विकि् लीक्स…
चूने वाला प्रजातंत्र
हमारे भारत की आर्थिक निति बहुत हद तक एक इफ़ेक्ट का अनुसरण करती है जिसका नाम है चूने वाला इफ़ेक्ट. इसके हिसाब से दुनिया के अनेक प्रजातंत्र चल रहे हैं , जिनको भारत भी कई मायनो में मानने लगा है.
दाढ़ी : घर :: मीडिया : सरकार
दिल्ली के दिल कनौट प्लेस में 25 जनवरी, 2010 का वो दिन भुलाये नहीं भूलता, जब मुझे बगल में बैठे एक पुलिसवाले ने मानो आतंकवादी घोषित कर ही दिया था, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं अपने साथ लद्दाख के एक होटल का कार्ड लेकर चल रहा था. जम्मू और कश्मीर में…
बाल संरक्षण की आवश्यकता
राकेश प्रजापति भारत विश्व के लगभग १९ प्रतिशत बच्चों का घर है. राष्ट्र की जनसंख्या के एक तिहाई से भी अधिक, लगभग ४४० मिलियन बच्चे१८ वर्ष की आयु से कम है. बच्चों…
राजीव आवास योजना- संतोष थोराट
साल 2004 में, ४५ श्रम बस्तियों को मुंबई में तोडा गया था, जिसके उपरांत घर बचाओ घर बनाओ का नारा लगाते हुए एक आन्दोलन खड़ा हुआ. इस आन्दोलन का सीधा नेतृतव टाटा सामजिक विज्ञानं संसथान के सैम्प्रीत सिंह ने किया और राष्ट्रीय जन आंदोलोन के समन्वय की मेधा पाटकर ने…
ओबामा टीम में दो भारतीय: काल पेन्न और फ्रैंक इस्लाम
काल पेन्न ओबामा टीम के साथ भारत दौरे पर आये थे. हर मौके का बहुत ही सुन्दर फोटो निकाला, गार्डन से ले के राष्ट पति भवन तक. उनके ट्वीट के हिसाब से ये पता लगा कि उनके पिता १९६७ में मात्र ५०० रुपए और बहुत सारी उम्मीदों के साथ अमेरिका…
भारत के आर्थिक और राजनैतिक विशेषज्ञ ‘प्रोंजोय गुहा ठाकुरता्’ सिरिजा की जीत पर
ग्रीस में सीरिजा पार्टी, अतिवादी वामदल, की अपेक्षित जीत ने पहले से ही पूरे वित्तीय बाजारों में संकेत भेज दिए थे। सीरिजा की इस जीत के पीछे भारत समेत पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि सरकारों द्वारा आर्थिक असमानताओं को सम्बोधित न करना राजनीतिक-सामाजिक उथल-पुथल को और…