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‘भटके विमुक्त जनजातियों’ के अच्छे दिन कब आयेंगे ?
सन् १९०० में ब्रिटिशों ने हिनुस्तान में छोटी-बड़ी संस्थानों (राज्य) को हटाकर अपनी हुकूमत कायम की. उस दौरान किसान, आदिवासी, भटके विमुक्त जनजाति और पिछड़े वर्गों को बड़े पैमाने पर सताया गया. उसके परिणाम सवरूप अंग्रेजों के खिलाफ १८५७ के उठाव में बिरसा मुंडा, तांत्या भील और उमाजी नायक के नेतृतव में विद्रोह उमड़ा. लेकिन अंग्रेजों के द्वारा इन आवाजों को दबाया गया.
मूतने का चस्का
मनीष बरोनिया पसीने से तेल बना के, चमड़ी की बाती कर ली, और जला के खुद को हमने जिंदगी बसर कर ली….. किवाड़े, खिड़कियाँ, और दीवारे नहीं है, सब खुला पड़ा है, कोई चौकीदारें नहीं है… यूँ बेखबर से, कुछ ढूँढने मत आया करो, मेरा परिवार सोता है, इस फूटपाथ…
टांडा, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, कोरोना महामारी के वक़्त घुमंतू समुदाय को मदद पहुंचाने में संघर्ष कर रहा
वर्ष 2011 में एडवोकेसी नेटवर्किंग एंड डेवलपमेंट एक्शन (TANDA, टांडा) एक फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट (FAP) के रूप में, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीस ) से शुरू हुआ. यह प्रोजेक्ट, सेंटर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड जस्टिस, स्कूल ऑफ सोशल के माध्यम से मुंबई में पारधी समुदाय के साथ लगभग दो वर्षों के…